ना जाने कितने बर्षों से
खडा है ...
मुझे बहुत पसंद है
उसकी डालों पर बैठी
चिडियों की चहचहाहट
उसकी जटाओं से ,
लटककर झूलना
बचपन में यही खेला करते थे
छुपाछुपी ..........
आज भी जब भी
गुजरती हूँ यहाँ से ,
कुछ देर रुकती हूँ
अच्छा लगता है
लगता है मानों वृक्ष की डालियाँ
करीब आकर कहना चाहती हैं कुछ
कान में .........लगता है जैसे कह रही हों
देख .सदियों से खडा हूँ यहाँ
अकेला .......
बहुत कुछ देखा है इन बूढी आँखों नें
खेलते बच्चे मेरे चारो ओर,
पक्षियों का कलरव
मोर का नर्तन ..।
फिर वो बूढा़ बरगद
धीर -से फुसफुसाया मेरे कान में
देखना ..कल आएगे
कुछ नेता ,कुछ अभिनेता
कुछ तथकथित समाजसेवक
लेकर कुछ पौधे ,फावडे
साथ में कुछ पत्रकार और
फोटोग्राफर भी .....
लगाएंगे कुछ वृक्ष
ढेरों फोटो लिए जाएंगे
अखबारों मे छपेगें किस्से
वृक्षारोपण के .......
उसके बाद कोई ना झाँकेगा
कि इन लगाए गए वृक्षों का
क्या भविष्य हुआ ....।
शुभा मेहता
4th ,June ,2021
विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर एक बेहतरीन अभिव्यक्ति जिसके हर शब्द कटु सत्य का चेहरा है।
ReplyDeleteआज की चिंतनीय स्थिति और प्रकृति की बदहाली के लिए हमसब बराबरी के जिम्मेदार हैं।
बहुत-बहुत धन्यवाद प्रिय श्वेता । आपको देखकर बहुत खुशी हुई ।
Deleteलगाएंगे कुछ वृक्ष
ReplyDeleteढेरों फोटो लिए जाएंगे
अखबारों मे छपेगें किस्से
वृक्षारोपण के .......
उसके बाद कोई ना झाँकेगा
कि इन लगाए गए वृक्षों का
क्या भविष्य हुआ ....।
सत्य को उजागर करता लाज़बाब सृजन सखी,पेड़ कागजो और फोटो पर नहीं धरती पर उगने होंगे।
पर्यावरण दिवस की हार्दिक शुभकामनायें,
बहुत-बहुत धन्यवाद सखी ।
Deleteसत्य को प्रदर्शित करती बहुत ही सुंदर रचना, शुभा दी।
ReplyDeleteधन्यवाद ज्योति ।
Deleteसुंदर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद ओंकार जी ।
Deleteबहुत बहुत सुन्दर
ReplyDeleteधन्यवाद ओंकार जी ।
Deleteआज की यथार्थपूर्ण सच्चाई को आवाज देती सुंदर, सार्थक रचना ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद जिज्ञासा
Deleteपर्यावरण दिवस पर मुखर, प्रभावित रचना ...
ReplyDeleteसच में इंसान अगर नहीं जागा तो कहीं का नहीं रहेगा, स्वयं ही खत्म हो जाएगा ...
लगाना आसान है लेकिन देखभाल के लिए समय निकालना पड़ता है वो बड़ा मुस्किल है. लोग अपना मतलब निकालते है. स्टिक रचना.
ReplyDeleteपर्यावरण से, पेड़ पौधों से जुड़े विषय पर नया ब्लॉग बना है. आप एक बार जरुर पधारें
मैंने ऐसे विषय पर; जो आज की जरूरत है एक नया ब्लॉग बनाया है. कृपया आप एक बार जरुर आयें. ब्लॉग का लिंक यहाँ साँझा कर रहा हूँ- नया ब्लॉग नई रचना
वृक्ष के उद्गारों द्वारा आपने सत्य को अनावृत किया है शुभा जी। आज दिखावे की नहीं, खोखली बातों की नहीं, ठोस और असली काम की ज़रूरत है।
ReplyDeleteसुंदर सृजन
ReplyDeleteवृक्षों की व्यथा को हृदयस्पर्शी शब्दों में व्यक्त सुन्दर सृजन ।
ReplyDeleteलगाएंगे कुछ वृक्ष
ReplyDeleteढेरों फोटो लिए जाएंगे
अखबारों मे छपेगें किस्से
वृक्षारोपण के .......
उसके बाद कोई ना झाँकेगा
कि इन लगाए गए वृक्षों का
क्या भविष्य हुआ ....
बहुत सटीक... वृक्षारोपण पर वृक्ष लगाते हुए तस्वीरे खिचवाने का चलन सा हो रखा है..और उसके बाद इन वृक्षों की देखभाल करेगा कौन...।सिर्फ वृक्षारोपण से पर्यावरण सुरक्षा कैसे...
बहुत सारगर्भित सार्थक सृजन।
बरगद को केंद्र बनाकर अद्भुत ताना बना रचा है आपने। पर्यावरण से सरोकार रखती इस सुंदर रचना के लिए बधाई और आभार, शुभा जी।
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