Tuesday, 1 February 2022

मंजिल

मेहनत के आगे 
किस्मत की औकात कहाँ 
 बंद कर ....
किस्मत का रोना ,रोना ...
  जमकर मेहनत कर 
  कर वक्त का पूरा इस्तेमाल 
  देख ,जाए न एक क्षण भी बेकार 
   दम हो ग़र इरादों में 
   तो झुक जाती हैं मंजिलें भी 
   कर भरोसा अपने आप पर 
    इधर-उधर सहारा मत ढूँढ 
    भटक जाएगा ....
 "कल" तो गया 
   "कल"अभी आया नहीं 
     "आज"मौजूद है 
        चल कर नई शुरुआत ।

   शुभा मेहता 
1stFeb ,2022

24 comments:

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 2 फरवरी 2022 को लिंक की जाएगी ....

    http://halchalwith5links.blogspot.in
    पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
    !

    अथ स्वागतम् शुभ स्वागतम्

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  3. बहुत-बहुत धन्यवाद सखी पम्मी जी ।

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  4. "कल" तो गया
    "कल"अभी आया नहीं
    "आज"मौजूद है
    चल कर नई शुरुआत

    –वाह
    बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद विभा जी ।

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  5. बहुत बहुत बहुत ही प्रेरणादायक रचना

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आलोक जी ।

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    1. धन्यवाद संगीता जी ।

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  8. दम हो ग़र इरादों में
    तो झुक जाती हैं मंजिलें भी
    कर भरोसा अपने आप पर
    वाह!!!
    बहुत ही प्रेरक एवं लाजवाब सृजन।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद सुधा जी ।

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  9. चल नई शुरुआत कर ...
    सच कहा अहि ... किस्मत के भरोसे क्यों बैठना ... रोज़ आज ही है ...

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद दिगंबर जी ।

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  10. कल" तो गया
    "कल"अभी आया नहीं...
    वर्तमान में रहना ही तो नहीं सीख पाते हम ! ये कल-कल हावी होती रहती है मन पर।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद मीना जी।

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  11. सुंदर भाव आदरनीय ।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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  12. बहुत अच्छी कविता हार्दिक शुभकामनाएं।सादर अभिवादन

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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  13. वाह! प्रेरक रचना

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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  14. "कल" तो गया
    "कल"अभी आया नहीं
    "आज"मौजूद है
    चल कर नई शुरुआत
    –वाह: उत्तम सोच
    °°
    –सार्थक सृजन

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