Friday, 22 April 2022

खुसर-पुसुर

किताबों से सजी अलमारी से खुसर -पुसुर की आवाज़ आ रही थी ......।
पहली...आज तो क्या बात है !दरवाजा खुला । सुबह-सुबह दरवाजे की चरमराहट से मेरी आँख ही खुल गई लगता है मानो सालों से सो रहे  हैं ।
दूसरी ...और क्या एक साल से तो बंद है दरवाजा ,कोई हमें पढता ही नहीं ....
  पहली ...अरे हाँ आज पुस्तक दिवस है न ..शायद आज हम पर जमी धूल झाड कर ,हमारे साथ फोटो लेगें और फिर सोशल मीडिया पर हेकड़ी जमाएगें कि देखो हमें पुस्तकों का कितना शौक है ।

   शुभा मेहता 
  23April ,2023

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