पहली...आज तो क्या बात है !दरवाजा खुला । सुबह-सुबह दरवाजे की चरमराहट से मेरी आँख ही खुल गई लगता है मानो सालों से सो रहे हैं ।
दूसरी ...और क्या एक साल से तो बंद है दरवाजा ,कोई हमें पढता ही नहीं ....
पहली ...अरे हाँ आज पुस्तक दिवस है न ..शायद आज हम पर जमी धूल झाड कर ,हमारे साथ फोटो लेगें और फिर सोशल मीडिया पर हेकड़ी जमाएगें कि देखो हमें पुस्तकों का कितना शौक है ।
शुभा मेहता
23April ,2023
कटु सत्य
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