एक -दो पीले पत्ते उदास हो रोने लगे ।तभी उनमें से एक ने कहा उदास क्यों होते हो ..पीले हुए हैं अभी सूखे नही ..सूखने से पहले जितना समय बचा है क्यों न हँसी -खुशी बिताएँ । सभी पीले पत्तों ने घेरा बनाया और नाचने गाने लगे ,हँसने ,गुनगुनाने लगे ..साथ -साथ रह कर साथ निभाने लगे ।अब कोई ना उदास था ना पीले होने का गम ..।
शुभा मेहता
13July ,2022
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 14.7.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4490 में दिया जाएगा
ReplyDeleteआभार
बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏
Deleteसार्थक संदेश ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद संगीता जी ।
Deleteआशा का संचार करती अच्छी लघुकथा
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद ।
Deleteउम्दा कथानक
ReplyDeleteशीर्षक पर श्रम नहीं हो पाया
बहुत-बहुत धन्यवाद विभा जी ।
Deleteसार्थक संदेश देती लघुकथा ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद जिज्ञासा जी ।
Deleteसीनियर सिटीजन होम की याद आ गयी, पिछली बार जब वहाँ गयी थी तो कुछ वृद्धाओं को मोबाइल पर कुछ देख कर एक साथ खिलखिलाते हुआ देखा था
ReplyDeleteधन्यवाद अनीता जी ।
Deleteजो हरा है उसे भी एक दिन पीला होना ही है, फिर उदास क्या होना, मिलजुलकर हंसी ख़ुशी में जिंदगी आसानी से कट जाती है, यही जीवन है। सार्थक प्रस्तुति
ReplyDeleteधन्यवाद कविता जी ।
Deleteप्रतिकात्मक शैली में सुंदर संदेश देता कथानक।
ReplyDeleteधन्यवाद कुसुम जी ।
Deleteबिल्कुल ठीक बात है। और सूखने के बाद भी, दिखने वाले कण ओझल होंगे, टूटेंगे बिखरेंगे, अणु तो शाश्वत हैं। रूप बदलते हैं केवल ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद ।
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी लघुकथा लिखी है आपने प्रिय शुभा जी।पीले पत्तों सी सकारत्मकता अगर हम जीवन में अपना लें कोई राग द्वेष और अवसाद कभी सता नहीं पायेगा।🙏🙏
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद सखी रेणु जी ।
Deleteसकारात्मक संदेश देती सुंदर लघुकथा, शुभा दी। बहुत कम शब्दों में बहुत सुंदर सन्देश।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद ज्योति
Deleteबहुत सुंदर सृजन
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद ओंकार जी व
Deleteबहुत ही सुन्दर सार्थक और हृदय स्पर्शी रचना सखी
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद सखी ।
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