Wednesday, 13 July 2022

पीले पत्ते (लघुकथा)

ओफ्फो ....ये पीले-पीले पत्ते पौधों की सारी सुंदरता खराब कर देते हैं ।कितनी बार कहा है माली से जैसे ही पत्ते थोडे पीले होने लगे इन्हें हटा दिया करो । मैं ही निकाल देती हूँ इन्हें ।और उसने चुन चुन कर पीले पत्तों को नीचे गिराना शुरु कर दिया । 
   एक -दो पीले पत्ते उदास हो रोने लगे ।तभी उनमें से एक ने कहा उदास क्यों होते हो ..पीले हुए हैं अभी सूखे नही ..सूखने से पहले जितना समय बचा है क्यों न हँसी -खुशी बिताएँ । सभी पीले पत्तों ने घेरा बनाया और नाचने गाने लगे ,हँसने ,गुनगुनाने लगे ..साथ -साथ रह कर साथ निभाने लगे ।अब कोई ना उदास था ना पीले होने का गम ..।


शुभा मेहता 
13July ,2022


26 comments:

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 14.7.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4490 में दिया जाएगा
    आभार

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद 🙏

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद संगीता जी ।

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  3. आशा का संचार करती अच्छी लघुकथा

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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  4. उम्दा कथानक
    शीर्षक पर श्रम नहीं हो पाया

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद विभा जी ।

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  5. सार्थक संदेश देती लघुकथा ।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद जिज्ञासा जी ।

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  6. सीनियर सिटीजन होम की याद आ गयी, पिछली बार जब वहाँ गयी थी तो कुछ वृद्धाओं को मोबाइल पर कुछ देख कर एक साथ खिलखिलाते हुआ देखा था

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    1. धन्यवाद अनीता जी ।

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  7. जो हरा है उसे भी एक दिन पीला होना ही है, फिर उदास क्या होना, मिलजुलकर हंसी ख़ुशी में जिंदगी आसानी से कट जाती है, यही जीवन है। सार्थक प्रस्तुति

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    1. धन्यवाद कविता जी ।

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  8. प्रतिकात्मक शैली में सुंदर संदेश देता कथानक।

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    1. धन्यवाद कुसुम जी ।

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  9. बिल्कुल ठीक बात है। और सूखने के बाद भी, दिखने वाले कण ओझल होंगे, टूटेंगे बिखरेंगे, अणु तो शाश्वत हैं। रूप बदलते हैं केवल ।

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  10. बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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  11. बहुत ही प्यारी लघुकथा लिखी है आपने प्रिय शुभा जी।पीले पत्तों सी सकारत्मकता अगर हम जीवन में अपना लें कोई राग द्वेष और अवसाद कभी सता नहीं पायेगा।🙏🙏

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद सखी रेणु जी ।

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  12. सकारात्मक संदेश देती सुंदर लघुकथा, शुभा दी। बहुत कम शब्दों में बहुत सुंदर सन्देश।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद ज्योति

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  13. बहुत सुंदर सृजन

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद ओंकार जी व

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  14. बहुत ही सुन्दर सार्थक और हृदय स्पर्शी रचना सखी

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद सखी ।

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