Thursday, 17 November 2022

सुर

सु.......सुर से जीवन 
जीवन से सुर 
नाद ब्रम्ह ओंकार सुर 
  सुर की महिमा 
   क्या गाऊं मैं..
     नदियों की कलकल में सुर 
       पंछी की चहक में सुर  
 भौंरे की गुंजन में सुर  
  वर्षा की बूंदों में सुर 
  जब लगता है 'गीत 'शब्द  में 
   सम उपसर्ग  .....
     तब बनता है संगीत  
      सात सुरों का संगम 
       शुद्ध-विकृत मिल होते बारह 
     श्रुतियां होती हैं बाईस  
      स्वर और  श्रुति में भेद है इतना 
        जितना कुण्डली और सर्प में 
      स्वर बनते नियमित  आंदोलन  से 
       होते मधुर  ,करते प्रसन्नचित 
        सुर से जीवन, जीवन  से सुर  ।

    शुभा मेहता
    17th,November 2022

13 comments:

  1. सुरों का साथ हो ज़िंदगी कितनी सुहानी हो जाती है, सुंदर सृजन

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद सखी अनीता जी ।

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  2. सच सुर से ही जीवन है, आपके सुरों में भी आनंद है ,बहुत शुभकामनाएं सखी ।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद सखी

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  3. सुर का अपना सुंदर संसार है।
    सुर पर सुंदर प्रस्तुति।

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  4. बहुत-बहुत धन्यवाद सखी कुसुम जी

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  5. वाह! बहुत उम्दा

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद ओंकार जी

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  6. बहुत-बहुत धन्यवाद सतीश जी ।

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  7. शुभा दी, आखरी पंक्ति
    सुर से जीवन, जीवन से सुर ।
    से आपने सूरो की महत्ता बहुत खूबसूरती से व्यक्त की है।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद ज्योति

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  8. सुर से जीवन, जीवन से सुर ।
    बहुत सही एवं सुन्दर
    अप्रतिम सृजन।

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