बडा दिल दुखाता है
बार-बार यह अहसास
करवाना कि हम extra हैं
किसी भी खेल में ,
या नृत्य स्पर्धा में
extra नृतक ...
पता होता है उन्हें कि
खेलना या प्रस्तुति देना
नहीं है उनकी नियती
पर सीखना और
मेहनत करना तो है न
या जो मुख्य कलाकार
या खिलाडी हैं
उनका हर पल ध्यान रखना
कभी-कभार स्वार्थवश
ये सोच भी आती है
शायद किसी को चोट लग जाए
तो नंबर मेरा आ जाए
कोई न कोई आस लिए
ये extra अपना काम
किए जाते हैं......
शुभा मेहता
8th Dec 2023
आपकी यह पोस्ट एक यथार्थ को रूपायित करती है शुभा जी। अभिनंदन आपका। फ़िल्मों तथा छोटे परदे के धारावाहिकों में 'extra' शब्द का प्रयोग पहले किया जाता था किंतु आपकी एवं इस पोस्ट के पाठकों की सूचनार्थ निवेदन है कि कुछ दशक पूर्व इस शब्द को ऐसे कलाकारों हेतु असम्मानजनक मानते हुए इसका प्रचलन बंद कर दिया गया एवं इसके स्थान पर उनके लिए 'कनिष्ठ कलाकार' (junior artist) शब्द-युग्म का प्रयोग आरम्भ कर दिया गया। अब ऐसे लोगों को 'एक्स्ट्रा' नहीं वरन 'कनिष्ठ कलाकार' अथवा 'जूनियर आर्टिस्ट' के नाम से ही पुकारा जाता है।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद जितेंद्र जी ।
Deleteमार्मिक रचना
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद अनीता जी
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद सुशील जी
ReplyDeleteजनमानस के इर्द गिर्द घूमता शब्द 'extra' को खूबसूरती से व्यक्त करती सुंदर रचना।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद रूपा जी
Deleteबहुत बढ़िया कहा प्रिय दीदी।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद प्रिय अनीता
Deleteसही कहा आपने शुभा जी,खासकर के क्रिकेट में इस extra की उपाधि को झेलनामुस्किल होता होगा मैग कभी कभी extra कमल भी कर जाते है और हाँ जितेंद्र जी ने सही कहा अब फिल्मों में जूनियर आर्टिस्ट ही कहते हैं,सादर नमन आपको
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद सखी
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