धुंधली आँखों के सौ सवाल
खिलौनों की जगह छडी पकडता
बूढ़ा बचपन मुस्कुराता हर हाल ।
कभी धूप में नंगे पाँव दौड़ा
आज छांव में ठहर गया
जो कल था उछलता पानी -सा
अब चुपचाप ठहर गया है
खेलता दोस्तों संग कभी
अब यादों संग खेलता है
शुभा मेहता
10th February, 2025
भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteजीवन के महत्त्वपूर्ण पड़ाव की पीड़ा शब्दों में व्यक्त किया है आपने दी।
सादर।
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जी नमस्ते,
आपकी लिखी रचना मंगलवार ११ जनवरी २०२५ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
बहुत-बहुत धन्यवाद प्रिय श्वेता
Deleteबूढ़ा बचपन मुस्कुराता हर हाल
ReplyDeleteजो होना है उससे डरना क्यूं
कौन रोक पाया है
शानदार हकीकत
वंदन
बहुत-बहुत धन्यवाद
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद
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