कल अचानक रस्ते मे मेरी पुरानी सहेली मिल गई ।इतने सालों बाद मिलकर बडी खुशी हो रही थी । पर मैनें देखा कि वह ठीक से नही चल पा रही थी ।पूछने पर उसनें बताया कि वह घुटनों के दर्द से परेशान है ।जब मैने उसकी दिनचर्चा के बारे मे पूछा तो वह बोली खाना और सोना ।हर काम के लिए नौकर हैं ।और मुझे उसके दर्द का कारण समझ में आ गया व्यायाम की कमी ।
दूसरी तरफ हमारी कमलाबाई है जो दिन भर चककरघिन्नी की तरह काम करती है पर खान पान में कमी । वो भी इसी तरह के दर्द की शिकार है ।
नियमित व्यायाम का अभाव और संतुलित आहार की कमी के कारण शरीर में केल्शियम की कमी होने लगती है । शारीरिक प्रवृति का स्तर जैसे-जैसे कम होता जाता है वैसे-वैसे हड्डियाँ कमजोर होती जाती है ।
ओसटियोपोरोसिस -यह शब्द दो शब्दों से बना है ओस्टीयो यानी हड्डी और पोरस यानी छिद्र वाली होना ।पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में यह तकलीफ अधिक पाई जाती है ।
जब हम कोई भी व्यायाम करते है जैसे चलना,दौडना या फिर कोई भी मेहनत का काम करते हैं तो हमारे स्नायु हड्डियों को काम करने को प्रेरित करते हैं और उन्हें मजबूत बनाते है ।
,सूक्ष्मव्यायाम जिसमे कंधों ,गले, कलाई ,घुटनों आदी का परिभ्रमण, बटरफ्लाई आदि का अभ्यास करने से लाभ मिलता है । वज्रासन भी काफी लाभदायक है ।प्राणायाम का अभ्यास ,दूध ,दही का सेवन और मन की प्रसन्नता यही है सुखी जीवन का मंत्र ।
Sunday, 29 December 2013
योग और रोग (२)
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
आजकल लोग आराम की जिंदगी तो जी रहे हैं, लेकिन शरीर को हिलाना-डुलाना भूल गए हैं। यही वजह है कि घुटनों और हड्डियों की दिक्कतें जल्दी घेर लेती हैं। दूसरी तरफ, मेहनत करने वाले लोग खानपान की अनदेखी कर देते हैं, तो वहां भी कमजोरी आ जाती है। असल में संतुलन ही जरूरी है—नियमित व्यायाम, सही आहार और सकारात्मक सोच।
ReplyDelete