आशा की कश्ती में
उमंगों की पतवार
अरमानो का नीर लेकर
चला चल माँझी चला चल ।
तू चल पड़ लक्ष्य की ओर
पहुँचना है गर किनारे
तो बनके अर्जुन
देख सिर्फ आँख चिड़िया की
देखना , पलक भी ना झपकने पाये
चाहे बहे अश्रुधार ।
मौज़े हों चाहे कितनी भी तेज़
या हो झंझावात
ना रुक ,ना डर
चला चल माँझी चला चल ।
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