लो फिर हुआ आगमन निशा का
ओढ़ चुनरिया तारों की
चन्दा इसकी बिंदिया है
लगती कितनी प्यारी
सुलाती सबको गोद में अपनी
और दिखाती मीठे सपने
देती अलसाये लोगों को विश्राम ।
इसकी गोद में ताज़ा होकर
उठ कर जब सब सुबह -सवेरे
चल पड़ते हैँ लक्ष्य को पाने
करने सपनों को साकार ।
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