Thursday, 4 June 2015

निशा

लो फिर हुआ आगमन निशा का
    ओढ़ चुनरिया तारों की
       चन्दा इसकी बिंदिया है
       लगती कितनी प्यारी
      सुलाती सबको गोद में अपनी
     और दिखाती मीठे सपने
      देती अलसाये लोगों को  विश्राम ।
        इसकी गोद में ताज़ा होकर
      उठ कर जब सब सुबह -सवेरे
        चल पड़ते हैँ लक्ष्य को पाने
        करने सपनों को साकार ।

No comments:

Post a Comment