मैंने कुछ सीखा आज
एक मकड़ी से
निरन्तर प्रयास करते रहना
जुट जाना जी जान से
चाहे , कोई कितनी ही बार
उजाड़ दे आशियाना
फिर-फिर प्रयास
कामयाबी की ओर
सुबह-सुबह जब देखा
एक मकड़ी बुन रही है जाला
अरे ,हटाओ इसे
कित्ता गन्दा है
बस जरा सा मौका मिला
बुनने लगती हैं
झट दौड़ कर ले आई झाड़ू
पट से हटा दिया
ये न सोचा किसी का आशियाना था वो
सोचा, उनका ब्लड प्रेशर नहीं बढ़ता होगा
या फिर डिप्रेशन ?
मनुष्यों की तरह ?
क्या होता होगा
उनका भी कोई डॉक्टर ?
पता नहीं
अब पता भी कैसे लगे
बेजुबां हैं वो तो .....
शाम को देखा
फिर वही मकडी़....
उसी जोश के साथ
बुनने में लगी थी
आशियां अपना
. . सीखा बहुत कुछ .....।
Tuesday, 21 March 2017
प्रयास
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बहुत सारी भावनाओं से लसी प्रेरित उम्दा रचना मुझे बरबस ही याद आ गयी स्काटलैंड के राजा राबर्ट ब्रूस को प्रेरणा देती एक मकड़ी की कहानी। अब तू पूरी तरह से कविया गयी है और अद्भुत रूप से अभिव्कत करने की भाषा है तुझमें। जीती रह बहना बहुत बहुत जीये 💐💐💐💐💐💐💐
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत आभार यशोदा बहन ।
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteसुन्दर।
ReplyDeleteThanku so much Sushil ji
Deleteइंसान का काम बाधा पहुंचाना है किसी की महनत से उसे क्या वास्ता ...
ReplyDeleteJi ,sahi kaha aapne.
Deleteसुंदर रचना। मानव के आचरण का सारभौमिक सत्य
ReplyDeletemehnat kbhi bekar nhi jati ....
ReplyDeleteThanku sooo much .
Deleteबहुत ही प्रेरनास्पद कविता
ReplyDeleteबहुत - बहुत धन्यवाद रितु जी ।
Deleteउम्दा रचना
ReplyDeleteधन्यवाद संजय जी ।
DeleteNice post keep visiting on kahanikikitab.com
ReplyDeleteThanku so much for visiting ...Sure will visit..
Deleteये इंसान ही है जो नाकामयाबियों से डर जाता है। उस वक्त यदि इंसान इन प्राणियों से कुछ सीखे तो निश्चिंत ही उसे प्रेरणा मिलेगी। सुंदर प्रस्तुति।
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