Monday, 1 May 2017

मजदूर....


सिर पर ईंटों को ढोता
  चिलचिलाती धूप हो
  या आँधी -तूफान
    बरस रहा हो या
   मेघ अविरत...
    करना है
    उसे तो काम
    रोटी का सवाल है भाई
    उसका छोटा बच्चा भी
    दो ईंटें उठाए
     चल रहा पीछे -पीछे
     ढीली चड्डी
   खिसकती जाती
   पकड़ नहीं पाता
    हाथ जो बोझ से लदे हैं
    बहती नाक और पसीना
     एक हुआ जाता
      बनाता आशियाना
     औरों का
     खुद का पता नहीं
    कभी यहाँ ,कभी वहाँ
    शायद इधर -उधर में
     जीवन पूरा हो जाएगा
    उसे तो  पता भी न होगा
   मजदूर दिवस है आज.....
   
        शुभा मेहता
     1st May ,2017

14 comments:

  1. A very nice tribute to labours on this day of nay diwas majdoor hmesha ek anishchit jiwan hi jeeta rha auro is ashiyana bnata aur khud khanabadosh ki tarah dar dar ki thokrein aur dutkar utpidan aur n jaane kya kya sahta bahut marmik aaklan kiya h bhasha sahaj saral aur ati sundar abhivyakti ki teri koi misaal nhi h bahut deerghayu ho khush rah punjab ke khet khalihan dekh aaj kal wahin rami huyi h aur bhi prerna milegi likhne ki dher saara pyaar

    ReplyDelete
  2. Bahut hi maarmik aur sthiti ka bahut achcha chitran kiya aapne shabdon mein dhaal ke.

    ReplyDelete
  3. बहुत ही मार्मिक वास्तव में यही है एक मजदूर की कहानी

    ReplyDelete
  4. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  5. सुन्दर व जीवंत वर्णन, आभार। "एकलव्य"

    ReplyDelete
    Replies
    1. धन्यवाद ध्रुव जी ।

      Delete
  6. बहुत सुन्दर रचना..... आभार
    मेरे ब्लॉग की नई रचना पर आपके विचारों का इन्तजार।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद ।

      Delete
  7. सटीक और सार्थक रचना

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत-बहुत धन्यवाद।

      Delete
  8. This comment has been removed by the author.

    ReplyDelete
  9. बहुत-बहुत धन्यवाद यशोदा जी ।

    ReplyDelete