Tuesday 21 March 2017

प्रयास

   मैंने कुछ सीखा आज
     एक मकड़ी से
   निरन्तर प्रयास करते रहना
     जुट जाना जी जान से
     चाहे , कोई कितनी ही बार
     उजाड़ दे आशियाना
       फिर-फिर  प्रयास
        कामयाबी की ओर
        सुबह-सुबह जब देखा
        एक मकड़ी बुन रही है जाला
        अरे ,हटाओ इसे
        कित्ता गन्दा है
         बस जरा सा मौका मिला
       बुनने लगती हैं
       झट दौड़ कर ले आई झाड़ू
     पट से  हटा दिया
       ये न सोचा किसी का आशियाना था वो
      सोचा, उनका ब्लड प्रेशर नहीं बढ़ता होगा
     या फिर डिप्रेशन ?
      मनुष्यों की तरह ?
      क्या होता होगा
    उनका भी कोई डॉक्टर ?
      पता नहीं
     अब पता भी कैसे लगे
     बेजुबां हैं वो तो .....
      शाम को देखा
     फिर वही मकडी़....
   उसी जोश के साथ
   बुनने में लगी थी
     आशियां अपना
  . . सीखा बहुत कुछ .....।

17 comments:

  1. बहुत सारी भावनाओं से लसी प्रेरित उम्दा रचना मुझे बरबस ही याद आ गयी स्काटलैंड के राजा राबर्ट ब्रूस को प्रेरणा देती एक मकड़ी की कहानी। अब तू पूरी तरह से कविया गयी है और अद्भुत रूप से अभिव्कत करने की भाषा है तुझमें। जीती रह बहना बहुत बहुत जीये 💐💐💐💐💐💐💐

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  2. आपका बहुत बहुत आभार यशोदा बहन ।

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  4. इंसान का काम बाधा पहुंचाना है किसी की महनत से उसे क्या वास्ता ...

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  5. सुंदर रचना। मानव के आचरण का सारभौमिक सत्य

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  6. mehnat kbhi bekar nhi jati ....

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  7. बहुत ही प्रेरनास्पद कविता

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    1. बहुत - बहुत धन्यवाद रितु जी ।

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    1. धन्यवाद संजय जी ।

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  9. Nice post keep visiting on kahanikikitab.com

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    1. Thanku so much for visiting ...Sure will visit..

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  10. ये इंसान ही है जो नाकामयाबियों से डर जाता है। उस वक्त यदि इंसान इन प्राणियों से कुछ सीखे तो निश्चिंत ही उसे प्रेरणा मिलेगी। सुंदर प्रस्तुति।

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