Friday, 12 January 2018

अपना-अपना आकाश...

  सभी को मकर संक्रांति की शुभकामनाएं .......
सभी मित्रों को इस उपलक्ष में चंद पंंक्तियाँ सर्मपित...

सभी को मिले ,
इच्छित आकाश
छू ले ,छू ले
गगन विशाल
भर ले रंग
जीवन में इतने
जितनी पतंग
उडे आकाश
नीली ,पीली
लाल ,गुलाबी
हरी और आसमानी....
रखना माँजा तेज
कोशिश का ...
  दूर गगन तक
   जाना है
    देखो-देखो
   कट ना जाए
    हर मुश्किल से
   बच जाना है
   पतंग अपने
  लक्ष्य की
  सबसे ऊँची
ले जाना है ।

  शुभा मेहता
   12th 2018

25 comments:

  1. Excellently penned lines very affirmative very positive nayi urjaa pradaan krti hai bahut sundar hamesha ki tarah aaj bhi tera pratham pathak aur pratham shrota rha hoon makar sankranti ki hardik shubbhechayein aur khoob saara pyaar apni gudia sarikhi bahen ko khoob tul ke laddu aur gur khana aur ho sake toh ek aadh patang udana love you my sweetest sister 😘😘😘😘😘😘👏👏👏👏👏👏💐💐💐💐💐💐

    ReplyDelete
  2. वाह्ह्ह....क्या बात है प्रेरक सुंदर संदेश देती प्यारी कविता शुभा दी।
    मकर संक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएँ मेरी स्वीकार करें।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद श्वेता ....

      Delete
    2. बहुत बहुत धन्यवाद श्वेता ....

      Delete
  3. आशीर्वाद बनाए रखिये ।

    ReplyDelete
  4. Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद ।

      Delete
  5. वाह शुभा जी बड़ी ख़ूबसूरत है आपकी रचना जोकि उतना ही बड़ा संदेश समेटे है। जीवन में उल्लास भरती रचना। बधाई।
    लोहड़ी और मकर संक्रांति की शुभकामनाऐं।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद रविन्द्र जी।

      Delete
  6. आपको भी मकर संक्रांति की शुभकामनाएं शुभा जी ।।🙏🙏🙏🙏 बहुत ही भावपूर्ण अभिव्यक्ति है । अत्यंत आनंदमयी ।

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद राजेश जी ।

      Delete
  7. उत्साह वर्धक और सकारात्मक अभिव्यक्ति
    बहुत सुंदर
    सादर

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद ज्योति जी।

      Delete
  8. निमंत्रण पत्र :
    मंज़िलें और भी हैं ,
    आवश्यकता है केवल कारवां बनाने की। मेरा मक़सद है आपको हिंदी ब्लॉग जगत के उन रचनाकारों से परिचित करवाना जिनसे आप सभी अपरिचित अथवा उनकी रचनाओं तक आप सभी की पहुँच नहीं।
    ये मेरा प्रयास निरंतर ज़ारी रहेगा ! इसी पावन उद्देश्य के साथ लोकतंत्र संवाद मंच आप सभी गणमान्य पाठकों व रचनाकारों का हृदय से स्वागत करता है नये -पुराने रचनाकारों का संगम 'विशेषांक' में सोमवार १५ जनवरी २०१८ को आप सभी सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद !"एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/

    ReplyDelete
    Replies
    1. जी जरूर ध्रुव जी ।

      Delete
  9. बहुत सुंदर, उत्साह भरती हुई कविता

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद।स्वागत है आपका मेरे ब्लॉग पर ।

      Delete
  10. बहुत सुन्दर

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद ।

      Delete
  11. बहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति‎ शुभा जी .

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद मीना जी ।

      Delete
  12. सुन्दर कविता |आभार आपका ब्लॉग पर पधारने हेतु |

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद।

      Delete
  13. आशावाद से परिपूर्ण रचना... बहुत सुंदर...

    ReplyDelete