यहाँ तो हर जगह
मचा है बवाल
कभी धर्म के नाम पर
कभी संप्रदाय के
हिंसा ,तोड़फोड़
धरने , हडतालें
बस ,बवाल ही बवाल है
चारो ओर
जलती हुई बसें
सिसकते हुए
निर्दोष , मासूम
आम लोग
जिन्हें शायद
इन सब बातों से
कोई सरोकार नहीं
फिर भी ,
खो जाती है
किसी की माँ
किसी का भाई
इन बवालियों के
फसादों में
आखिर कब तक ?
कब मिटेगी ये
दीवारें ...
कब होगा
लहू का रंग एक ....
शुभा मेहता
18th January ,2018
Wah kab hoga ka lahu rang ek bahut acchi pankti hai kavita adbhut hai mrte masoom aur nirdosh hi hain kitna sahi aaklan kiya hai aaj jidhar dekho udhar bawal hi bawal hai aur bawal kisi khas uddeshyaporti ke liye hi hote hain bas baheba aeise hi apni soch aur kalam ko dhaardaar bna aur khoob likh dheron ashirwad aur khoob saara pyaar is bhai ka 😘😘😘😘😘💐💐💐💐💐💐💐
ReplyDeleteबवाल को ख़त्म करने के लिए सब को एक होना होगा ... अपना स्वार्थ, अपना धर्म आपका कर्म स्वार्थ रहित करना होगा तभी इस बवाल से मुक्ति संभव है ...
ReplyDeleteधन्यवाद दिगंबर जी।
Deleteबहुत सुंदर रचना ...विचारणीय बवाल
ReplyDeleteधन्यवाद नीतू जी ।
Deleteबहुत ही सुन्दर रचना...
ReplyDeleteधन्यवाद भाई ।
Deleteशुभा जी, कृपया एक बात बताने का कष्ट कीजिएगा की इस बवाल शब्द में ऐसा क्या हैं जो आजकल इस पर बहुत लेखन हो रहा हैं। मैं इस शब्द पर यह पांचवी रचना पढ़ रही हूं। इस सवाल ने मेरे मन में बवाल मचा दिया हैं। अतः बताइएगा जरूर।
ReplyDeleteवैसे बहुत सुंदर रचना।
धन्यवाद ज्योति जी ।" पाँच लिंकों के आनंद".में एक कदम हम चलें ,एक कदम आप म़े पिछले दो सप्ताह से एक विषय दिया जा रहा है कविता लिखने के लिए..इस बार का विषय बवाल था....
Deleteअच्छी रचना है। साहित्य समाज का दर्पण है ।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteसार्थक रचना
ReplyDeleteबहुत धन्यवाद ।
Deleteसोचने पर मजबूर करती पंक्तियां। बेहतरीन
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद ।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना सोमवार २२जनवरी २०१८ के विशेषांक के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
मेरी रचना को इस विशेषांक में स्थान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद नीतू ।
Deleteसुप्रभात एवं बंसत पंचमी की ढेर सारी शुभकामनाएं .. धर्म एंव इंसानियत से जुड़े विषय पर आपके बवाल ने धमाल कर दिया बहुत ही सारगर्भित रचना लिख डाली आपने .. बधाई।
ReplyDeleteबहुत बहु धन्यवाद अनिता जी ।आपको भी बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएं ।
Deleteदहशत है फैली
ReplyDeleteदहशत है फैली हर शहर मोहल्ले मोहल्ले
नफरत भरी गलियां देखो इन हुक्मरानों की
.
भाव चवन्नी के बिकती मजबूर काया यहाँ
बेगेरत मरती आत्मा देखो सियासतदानों की
.
तिल तिल मरते कर्ज में डूबे अन्नदाता यहाँ
सुखा है दूर तलक देखो हालत किसानों की
.
धर्म की बड़ी दीवार खड़ी है चारों और यहाँ
जानवर निशब्द है औकात नहीं इन्सानों की
................................................................MJ
वाह!!बहुत खूब ।स्वागत है आपका मेरे ब्लॉग पर।
Deleteलिखें तो बवाल न लिखें तो बवाल...शब्दों का बवाल पसंद आया शुभा जी
ReplyDeleteधन्यवाद संजय जी।
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