Tuesday, 1 May 2018

इंतजार ...

इंतजार , सभी को होता है
किसी न किसी चीज़ का
  प्रेमी को प्रेयसी का
   परिक्षार्थी को परिणाम का
    कृषक को वर्षा का
     बच्चों को छुट्टियों का
     कलाकार को प्रसिद्धि का
      भूखे को भोजन का
        बस ऐसे ही कट जाता है जीवन
        इंतजार करते करते
       और फिर चुपके चुपके
        आने लगता है वो
        जिसका किसी को इंतजार नही होता
        अपनी झोली और डंडा लेकर
         देता जाता है बालों में सफेदी
      माथे पर लकीरें
       जिन्हें छुपाने की भरसक
          कोशिश करते हैं हम
           सच पर चढाते है
         मुलम्मा झूठ का
         रंग -रोगन से ..।

शुभा मेहता
        
    

14 comments:

  1. Behadd acchi aur intezar kbhi khatm nhi hota theek usi tarah jaise peshani par lakeerein kabhi khatm nhi hoti jeewan ki sacchai aur yatharth se avgat karati hai teri kavita deerghayu ho aur ummeed hai ki bhavishya mein bhi aisi hi aur bhi rachnayein padhne ko milti rahengi anavarat dherum dher pyaar aur ashirwad 😊😊😊😊😘😘😘😘💐💐💐

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  2. सुंदर प्रस्तूति।

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    1. बहुत बहु धन्यवाद ज्योति ।

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  3. बहुत खूबसूरत रचना। लाजवाब !!!

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद नीतू जी ।

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  4. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक ७ मई २०१८ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।

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  5. हृदय से आभार श्वेता ..

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  6. सूंदर रचना .., सत्य को दर्शाती सूंदर शब्द संकलन के साथ आपकी लेखनी ने हर तरह के इंतज़ारके रंगों को उकेरा है,शुभकामनाये शुभा जी

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    1. धन्यवाद सुप्रिया जी ।

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  7. This comment has been removed by the author.

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  8. बुढ़ापा और मौत शास्वत सत्य है..
    अंतर यह है बुढ़ापा छुपाने के चक्कर में लोगो के सामने झूटे बन जाते हैं और मौत तो बेवकूफ ढिंढोरा पिट देती है.

    अच्छा लेखन है.

    खैर 

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद ।

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  9. सच कहा है ...
    इंतज़ार के पल इतने लम्बे हो जाते हैं की समय आ जाता है और सफेदी आ जाती है ... जिसका इंतज़ार नहीं होता... लाजवाब लिखा है ...

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