कि,संभल ना पाए
जालिम जमानें के आगे
हम तो कुछ न कर पाए
अस्मतें लुट रही हैं आज
सरे बाज़ार.......
कुछ तमाशबीन जुटे हैं
और कुछ चिल्लाए
लुटती अस्मतों को तो
कोई बचा ना पाए
बन रहा आज का मानव
कितना हिंसक
शेर-चीते भी
आज देख इन्हें शरमाएँ ।
Ye toh adbhut hai aur sahi me junglee janwar in vahashiyon ke aage jyada sabhya dikhte hain aur insan aaj in janwaron ke libas me ghum rahe hain koi video lega koi tamasha dekhega oar madad ka haath nhi badhayega .....ghrinit samaj ho gya hai 💐💐💐💐😊😊😊😊
ReplyDeleteसही बात सखी।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद सखी ।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(०६-१२-२०१९ ) को "पुलिस एनकाउंटर ?"(चर्चा अंक-३५४२) पर भी होगी।
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
आप भी सादर आमंत्रित है
….
अनीता सैनी
बहुत-बहुत धन्यवाद प्रिय सखी अनीता ।
ReplyDeleteशेर-चीते भी
ReplyDeleteआज देख इन्हें शरमाएँ
सच्ची बात कही आपने ,सुंदर सृजन ,सादर नमन
धन्यवाद प्रिय सखी ।
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद ओंकार जी ।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक
९ दिसंबर २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।,
बहुत-बहुत धन्यवाद श्वेता ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सटीक आज के हालातों पर करारा व्यंग
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद सुधा जी ।
Deleteशेर चीते अपनी मर्यादा में रहते हैं ... पर इंसान आज हर हद पार कर चुका है ...
ReplyDeleteकाश हालत ठीक हों पायें ...
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ReplyDeleteFull SEO Optimize
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नमस्ते.....
ReplyDeleteआप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की ये रचना लिंक की गयी है......
दिनांक 10/04/2022 को.......
पांच लिंकों का आनंद पर....
आप भी अवश्य पधारें....