यादें कभी भी
चुपके से आकर
गुदगुदाती हैं मन को
रखा है सहेज कर
दिल के कोनों की
किसी बंद अलमारी मे
सहसा खोल दरवाज़ा
हौले से झाँक लेती हैं
और कभी दे जाती हैं
होठों पर एक मधुर मुस्कान
कभी अकेले में
खिलखिलाहट
कोई खट्टी कोई मीठी
औऱ कभी भिगो जाती हैं
कपोलों को अश्रु धार से
यादें ........
Very nice poem Shubha ji.
ReplyDeleteसुंदर..
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