अटकूं कहीं तो
इशारा करता है तू ही
भटकूं कहीं तो
साथ देता है तू ही
आकांक्षाएं , एक के बाद एक
बढ़ती चली जाती
पाने की लालसा में
लगती हैं ठोकरें भी
हर वक्त ,ठोकर खाने के बाद
हाथ थामता है तू ही
कभी -कभी तो
आकाश छूना होता है मुझे
तब तू ही कहता है
कोशिश कर , कर कोशिश
अनवरत.......
न रोक पाएगा
कोई तुझे
आगे बढ़..
तू जो दे सकता है
वो कहाँ और कोई
दे सकता
. दिखाई देता नहीं
पर रहता है साथ सदा
मेरा विश्वास ....
शुभा मेहता
22May , 2017
Ek bahut hi sundar rachna aur shabdon ko bahut hi baariki se piroya hai aeisi mala banane ka bhi vishwas chahiye jo baat teri kavita barbas vyakt krti hai aur mujhe bacchan ji ki kuch panktiyan yaad aa rhi hai aur unhi ko uddhrit kar main apni baat shesh krta hoon. Bacchan ji kahte hain ki " aasra upar ka mat dekh sahara niche ka mat maang yahi kya kam tujhko vardan ki tujhme bhari pralay ki aag " vishwas kbhi kbhi aag ka roop le protsahit krti hai toh kbhi nirmal sheetal jal ki bhanti bahkt hame kuch sochne ka bhi marg darshati h bahut bahut pyaar bas likhe jaa aur yashomati ho ☺☺☺☺☺☺☺💐💐💐💐💐
ReplyDeleteआकाश छूना होता है मुझे
ReplyDeleteतब तू ही कहता है
कोशिश कर , कर कोशिश
अनवरत.......
न रोक पाएगा
कोई तुझे
आगे बढ़..
बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ। कमाल का वर्णन वाह ! आभार। "एकलव्य"
बहुत -बहुत धन्यवाद ध्रुव जी ।
Deleteबहुत -बहुत आभार यशोदा जी ।
ReplyDeleteलाजवाब.....
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर....
बहुत -बहुत धन्यवाद सुधा जी ।
Deleteआकाश छूना होता है मुझे
ReplyDeleteतब तू ही कहता है ..
वाह!बहुत बढियाँ..
बहुत -बहुत धन्यवाद ।
Deleteसुन्दर।
ReplyDeleteआभार ,सुशील जी ।
DeleteBhut acche keep posting keep visiting on www.kahanikikitab.com
ReplyDeleteDhanyvad sarvesh ji .Aapka swagat hai mere channel per
Deleteवाह ! क्या बात है ! बहुत ही खूबसूरत रचना । बहुत खूब
ReplyDeleteबहुत -बहुत धन्यवाद राजेश जी ।
Deleteसटीक रचना
ReplyDeleteNice article keep posting and keep visiting on www.kahanikikitab.com
ReplyDeleteइस विश्वास की लगाम सब कुछ करा जाती है ... कहीं से कहीं पहुंचा देती है ... बहुत गहरी भावपूर्ण रचना ...
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना..... आभार
ReplyDeleteमेरे ब्लॉग की नई रचना पर आपके विचारों का इन्तजार।
धन्यवाद संजू जी ।
Deletebhut acche keep posting....................
ReplyDeleteAapka bahut bahut dhanyvad
Deleteबहुत खूब, हार्दिक मंगलकामनाएं
ReplyDeleteआभार सतीश जी ।
Deleteबहुत सुन्दर कविता शुभा जी - और कितना सही चित्रित किया है आत्म विश्वास की महत्ता को सरल शब्दों में |
ReplyDeleteधन्यवाद संजय जी ।
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद ओंकार जी ।
Deletedo you want publish book?
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शुभ संध्या
ReplyDeleteआभार..
पर आप हैं कहाँ
मई महिने के बाद आपकी एक भी फ्रविष्ठि नही
सादर
यशोदा जी ,इन दिनों कुछ व्यस्त हूँ ,पौत्र जन्म हुआ है घर में ,लोरियां गाने में लगी हूँ। बहुत धन्यवाद । शीध्र नई रचना के साथ मिलूँगी ।
Deleteसही कहा शुभा... इंसान का आत्मविश्वास ही हमेशा उसका साथ देता हैं। सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteधन्यवाद ज्योति ।
Deleteगहरी भावपूर्ण रचना
ReplyDeleteधन्यवाद संजय। जी।
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