जी हाँ ,पडती है खलल
जीवन में मेरे जब
आकर कोई कर जाता
है सपनों को ध्वस्त मेरे
देता है झकझोर मेरे
समूचे अस्तित्व को,
कितनी आसानी से
कह जाता है ,
ये करो ,वो मत करो
शायद उनकी
नजरों में
मेरा न कोई अस्तित्व है
न व्यक्तित्व
जब भी बुनना चाहूँ
सपने ,ठानू उन्हें
पूरा करनें की
फिर कोई हाथ
आकर झकझोर जाता है..
डाल जाता है
खलल ....अनचाही ...।
शुभा मेहता ..
Khalal jiwan ko ast-vyast kr deti hai phir vo chahe apno ke dwara hi ya koi bahari vyakti dwara bahut maarmik shabdavali aur yatharth darshati panktiyan hain poori paripakvata aur gahrai leti huyi rachit kavita hai shabbash bahen kam likhti hai par jo bhi likhti vah adbhut hi likhti hai jiyo gudia bahen deerghayu ho dher saara pyaar aur ashirwad 💐💐💐💐💐💐😘😘😘😘😘😘😘
ReplyDeleteआपकी ह्रदयतल से आभारी हूँ श्वेता जी ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद नीतू .।
Deleteबहुत सुन्दर....
ReplyDeleteवाह!!!
बहुत आभार आपका सुधा जी ।
Deleteख़लल पर बहुत सुन्दर लिखा है आपने शुभा जी आपने
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद रितु जी ।
Deleteबहुत सुन्दर अभिव्यक्ति शुभा जी.
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद मीना जी ।
Deleteसही कहा
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद ।
Deleteइस अनचाही ख़लल को अपने विश्वास और साहस से ही दूर करना होता है ...
ReplyDeleteआपका कहना सही है की ये ख़लल कुछ करने नहीं देती ...
बहुत बहुत धन्यवाद दिगंबर जी ।
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