Thursday 15 February 2018

खलल....

जी हाँ ,पडती है खलल
जीवन में मेरे जब
  आकर कोई कर जाता
  है सपनों को ध्वस्त मेरे
   देता है झकझोर मेरे
    समूचे अस्तित्व को,
  कितनी आसानी से
  कह जाता है ,
  ये करो ,वो मत करो
   शायद उनकी
  नजरों में
   मेरा न कोई अस्तित्व है
  न व्यक्तित्व
    जब भी बुनना चाहूँ
      सपने ,ठानू उन्हें
     पूरा करनें की
   फिर कोई हाथ
   आकर झकझोर जाता है..
    डाल जाता है
      खलल ....अनचाही ...।

शुभा मेहता ..

 

14 comments:

  1. Khalal jiwan ko ast-vyast kr deti hai phir vo chahe apno ke dwara hi ya koi bahari vyakti dwara bahut maarmik shabdavali aur yatharth darshati panktiyan hain poori paripakvata aur gahrai leti huyi rachit kavita hai shabbash bahen kam likhti hai par jo bhi likhti vah adbhut hi likhti hai jiyo gudia bahen deerghayu ho dher saara pyaar aur ashirwad 💐💐💐💐💐💐😘😘😘😘😘😘😘

    ReplyDelete
  2. आपकी ह्रदयतल से आभारी हूँ श्वेता जी ।

    ReplyDelete
  3. Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद नीतू .।

      Delete
  4. बहुत सुन्दर....
    वाह!!!

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत आभार आपका सुधा जी ।

      Delete
  5. ख़लल पर बहुत सुन्दर लिखा है आपने शुभा जी आपने

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद रितु जी ।

      Delete
  6. बहुत सुन्दर‎ अभिव्यक्ति‎ शुभा जी.

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद मीना जी ।

      Delete
  7. Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद ।

      Delete
  8. इस अनचाही ख़लल को अपने विश्वास और साहस से ही दूर करना होता है ...
    आपका कहना सही है की ये ख़लल कुछ करने नहीं देती ...

    ReplyDelete
    Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद दिगंबर जी ।

      Delete