अँधेरा मन में है दिया जलाया मंदिर में मन का अँधेरा दूर कर जग प्रकाशित हो जाएगा । नफरत की आग मन में लिए क्यों बैठा सत्संग में मन से तू ये आग बुझा ये जग सुंदर हो जाएगा ।
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