भोर से ही आज
चित्त कुछ उदास था
याद मायके की
सता रही थी
वो पापा का दुलार
मम्मी का प्यार
भैया का झगड़ा
सभी कुछ तो
अभी कुछ दिनों
पहले ही तो आई थी
छोड़ उस आँगन को
इस दहलीज़ पर ...
तभी खाने की टेबल पर
कुछ हंगामा सा हो गया
किसी ने खाना छोडा
किसी ने उसको कोसा
बात तो ज़रा सी थी
सब्जी में थोड़ी खारास थी
पर कैसे ? न पूछा किसीने ..
आँख की दहलीज़ से
अश्रु की इक बूँद
जा गिरी थी उसमें..।
शुभा मेहता
Kya baat hai apna sab kuch chhor kr aayi ladki beti apna sab kuch samarpan krti hai aur ek jra si baat par ulahana aur bina baat ke kosna kya baat hai bahen bahut hi emotional kavita likhi hai aaj toone har ladki ke saath hota hai rudivadi vichar ko badalne ki jaroorat hai bahut bahut pyaar aur ashirwad likh rajaa khoob likh aur man bhavan likh 😘😘😘😘😘😘😘👏👏👏👏👏👏👏💐💐💐💐💐💐😊😊😊😊😊😊
ReplyDelete😊😊😊😊😊
Deleteबहुत बहुत धन्यवाद प्रिय श्वेता ।
ReplyDeleteसुन्दर कविता, भाव भरे शब्दों के साथ
ReplyDeleteधन्यवाद संजय जी ।
DeleteRecent Post शब्दों की मुस्कराहट परमाँ के हाथों की बनी रोटियां : )
ReplyDeleteबहुत खूब लिखा है आपनें !!
Deleteवाह शुभा जी, सब्जी की खार सब को महसूस हो गई आंख का समन्दर किसी ने ना देखा ।
ReplyDeleteहृदय स्पर्शी रचना
बहुत -बहुत धन्यवाद कुसुम जी ।
Deleteबचपन की यादें किसे नहीं सताती ? ये हमारे जीवन की अनमोल पूंजी होती हैं | प्रिय शुभा बहन यादों की गह्लिज पर ठिठके मन की बहुत ही अनमोल यद्दों को पिरीती रचना बहुत ही भावपूर्ण है | सस्नेह बधाई आपको |
ReplyDeleteबहुत -बहुत धन्यवाद प्रिय रेनु जी ।
Deleteप्रिय शुभा बहन --आज आपको प्रिय ध्रुव ने अपने लिंकों की शान बनाया है | आपका परिचय पाकर मन आह्लादित हुआ | बाकी तो वहीँ लिखूंगी आज या कल पर मेरी हार्दिक शुभकामनाये | कोकिलकंठी होने के साथ साथ आपको रचना कर्म में दक्षता माँ सरस्वती का दोहरा आशीर्वाद है | आपके सभी गीत सुनती हूँ | बहुत अच्छा गाती हैं आप | माँ आप पर अपनी ये कृपा बनाये रखे | आप स्वस्थ रहे और आपकी लेखनी का प्रवाह बना रहे | सस्नेह |
ReplyDeleteप्रिय बहन रेनु , आपको मेरे गीत पसंद आते हैं, जानकर मन बहुत प्रसन्न हो गया ...आप जैसी प्यारी बहन पाकर प्रसन्नता दुगुनी हो गई ।
Deleteवाह वाह क्या बात है बहुत सुन्दर शुभा जी ।अनूठा शब्द व भाव संयोजन । सस्नेह ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद पल्लवी जी ।
Deleteबहुत सुंदर कविता शुभा जी
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