सुनो...
मेरे बच्चों .......
ये कचरे का ढेर हटाओ..
ये थैलियां ,प्लास्टिक की
हटाओ.......
दम घुट रहा है ...
साँस रुंध चली है
क्या मार ही डालोगे ?
माँ के साथ ऐसा बर्ताव?
उफ ....कुछ तो ख्याल करो
सोचो , कैसे जी पाओगे
तुम ,और तुम्हारी आने वाली पीढियां
मुझे गंदा करके
नदियों को मैला करके
क्या होगा हासिल ?
शायद तुम अभी
समझ नहीं पा रहे
क्या होगा भविष्य
आने वाली पीढियों का
न देख पाएगी
कलकल झरनें ,
बहती नदियां
इसी लिए कह रही हूँ
वक्त है अभी भी
संभल जाओ मेरे बच्चों
यही एक माँ की अरज है .....।
विश्व पृथ्वी दिवस पर धरती माँ की अरज ..
शुभा मेहता
22nd April ,2019
Bahut hi bdhiya paryavaran par bahut acchi panktiyan sach mein aaj chinta janak hai sthiti sbhi ko udvelit krna chahiye well done sis love you dear 👏👏👏👏😘😘😘😘💐💐💐💐
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 23 अप्रैल 2019 को साझा की गई है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteजी ,जरूर । हृदयतल से आभार ।
Deleteवाहह्हह... क्या.बात है दी सार्थक संदेशात्मक सृजन👌👌
ReplyDeleteधन्यवाद श्वेता।
Deleteबहुत सुन्दर रचना सखी
ReplyDeleteसादर
बहुत-बहुत धन्यवाद सखी
Deleteबहुत ही सुन्ददर सार्थक रचना....
ReplyDeleteवाह!!!!
बहुत-बहुत धन्यवाद सुधा जी ।
Deleteबेहतरीन रचना सखी 👌
ReplyDeleteधन्यवाद सखी ।
Deleteमनभावन, सरल शब्दों में सुन्दर रचना...!!
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