Thursday 14 November 2013

सतरंगे सात चक्र

हमारे शरीर में सात चक्र स्थित हैं । जिन्हें संतुलित रख कर हम स्वस्थ्य शारीर पा सकते है । हमारे स्थूल शरीर में स्थित नही होने के कारण हम इन्हें देख नही सकते पर इनकी गति ,शक्ति व स्थिति का अनुभव जरूर कर सकते हैं। 

पहला चक्र है -मूलाधार चक्र जिसका रंग है लाल । ये हमारी किडनी,ब्लेडर और रीढ की हड्डी को नियंत्रित करता है । इसका सम्बन्ध पृथ्वी तत्व से होता है । इस मे असंतुलन होने से शरीर मे जडता आती है ,मन उदास व शरीर भारी लगता है ।

दूसरा चक्र है स्वाधिष्ठान चक्र-जिसका रंग है नारंगी । इसका संबंध गोनेड ग्रन्थी से है और कार्य क्षेत्र जातीयशक्ति व भावनाओं का केन्द्र है । इसका संबंध जल तत्व से है । 

तीसरा चक्र है -मणीपुर चक्र ।जिसका रंग है पीला ।इसका संबंध एडरीनल ग्रन्थी से है । ये पेट और लिवर को नियंत्रित करता है । इसका संबंध अग्नि तत्त्व से है । इसके असंतुलन से चर्म रोग ,मधुमेह और गैस आदि तकलीफ होती है । 

चौथा चक्र है अनाहत चक्र । जिसका रंग है हरा । इसका संबंध थायमस ग्रन्थी ,से है । ये हार्ट ,फेफडे व श्वसन प्रणाली को नियंत्रित करता है । इसका संबंध वायु ,तत्व से होता है । इसके असंतुलन से निराशा, डिप्रेशन आदि रोग होते हैं । 

पाँचवां चक्र है विशुद्ध चक्र । इसका रंग है हलका नीला ।इसका संबंध थायराइड ग्रन्थी से है ।ये गले व लंग्स को नियंत्रित करता है । इसका शक्ति स्त्रोत आभार अथवा दुख है ।इसका संबंध आकाश तत्व से होता है ।इसके असंतुलन से वात,पित्त और कफ की समस्या होती है । 

छठा चक्र है आज्ञा चक्र ।इसका रंग है गहरा नीला ।इसका संबंध पिटयूटरी ग्रन्थी से है ।यह ओटोनोमस नर्वस सिस्टम को नियंत्रित करता है । इसका संबंध आकाश तत्व से है और शक्ति सत्रोत है जाग्रति अथवा क्रोध । 

सातवाँ चक्र हैं सहस्त्राकर चक्र । इसका रंग है जामुनी ।इसका संबंध पिनियल ग्रंथी से होता है ।यह सिर के उपरी भाग को नियंत्रित करता है । इसका कार्य क्षेत्र आधयात्मिक प्रगति करना है ।

इन चक्रों को संतुलन में रखने के लिए हम योग ,प्राणायाम ,और वैकल्पिक हीलिंग प्रणाली का उपयोग कर सकते हैं ।

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