सबसे पहले मेरे सभी ब्लॉगर मित्रों को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ 🌷🌷🌷🌷🌷
होली का पर्व आपसी प्रेम व सद्भाव बढाने का होता है ।कहते हैं इस दिन सब गिले शिकवे भूलकर एक दूसरे के साथ मिलकर रंग लगाते है और खुशियाँ मनाते हैं ।
मुझे भी मिलजुल कर होली खेलना अच्छा लगता था ....आप सोच रहे होंगे था से क्या मतलब ,अब अच्छा नहीं लगता क्या ?
बात कुछ पंद्रह साल पुरानी है ।जब हम गाँधी जी की नगरी पोरबंदर रहा करते थे । हमारी कॉलोनी में भी होली का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाते थे हम सब मिलकर ।
सब लोग मस्ती में रंग और गुलाल से खेल रहे थे ...तभी किसी नें मेरे बालों में बहुत सारा रंग डाल दिया और कुछ क्षणों के बाद ही मुझे तीव्र जलन महसूस होनें लगी ...मानों किसी नें मिर्च का पाउडर डाल दिया हो ..कुछ देर में वो जलन असहनीय हो गई ,मैं जल्दी से घर की ओर भागी ..।
बालों को सीधा ठंडे पानी के नीचे रखा ...बहुत धोया पर जलन कम नही हुई ...तभी मेरे बाल जडों से हाथ में आने लगे ..इतने सारे .....मैं तो जोर -जोर से रोने लगी ..।(उस समय बहुत लम्बे बाल थे )
घर वाले ढाढस बंधा रहे थे ,मैं रोए जा रही थी ।
बाल बहुत निकल चुके थे ।
किससे कहते और क्या ? सभी अपनें ही थे ...।
अभी भी उसका असर है ,दिल और दिमाग पर ....।
अब मन नहीं करता होली खेलने का ।
बाद में पता लगा कि उनमें से एक फैक्ट्री में केमिस्ट था ..।
शुभा मेहता
3rd March ,2023