Sunday, 12 March 2023

उम्र

उम्रदराज लोग 
अक्सर भूल जाया करते है 
कभी कुछ ,कभी कुछ 
अब मुझको ही ले लो 
 बासठ पार हो गए 
  त्रेसठवां सरक रहा है 
  या यूँ कह लो कि चल रहा है 
  नहीं जी ,दौड़ ही  रहा है 
   कब सुबह होती है ,कब शाम 
    पता ही नहीं चलता 
    व्यस्त रखती हूँ  
    अपने आप को 
      अपनी पसंद  का काम  करके 
       खाना बनाने से लेकर 
       संगीत  के रियाज तक 
       फिर भी ...........
      अक्सर  कुछ न कुछ 
        भूल ही जाती हूँ 
        कभी किसी चीज को रखकर 
         कभी किसी का नाम ही .....
          चाहती यही हूँ कि
         भूलूं तो जीवन के संघर्ष  को ..
          दिल दुखनें की बातें...
          कुछ कडवी यादें ...  
           बस याद रहे ,
             जीवन की मिठास 
             जी लेना है 
             उम्र के इन बोनस वर्षों को 
            बिन्दास........।
शुभा मेहता 
  12th March,2023

 
   

Thursday, 2 March 2023

होली (संस्मरण)

सबसे पहले मेरे सभी ब्लॉगर मित्रों को होली की हार्दिक  शुभकामनाएँ 🌷🌷🌷🌷🌷

  होली का पर्व  आपसी प्रेम व सद्भाव  बढाने का होता है ।कहते हैं इस दिन सब गिले शिकवे भूलकर  एक दूसरे के साथ मिलकर  रंग लगाते है और खुशियाँ  मनाते हैं ।
 मुझे भी मिलजुल कर होली खेलना अच्छा लगता था ....आप सोच रहे होंगे था से क्या मतलब ,अब अच्छा नहीं लगता क्या ?
 बात  कुछ पंद्रह साल  पुरानी है ।जब हम गाँधी जी की नगरी पोरबंदर  रहा करते थे । हमारी कॉलोनी में भी होली का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाते थे हम सब मिलकर  । 
  सब लोग मस्ती में रंग और गुलाल से खेल रहे थे ...तभी किसी नें मेरे बालों में बहुत  सारा रंग  डाल दिया और कुछ क्षणों के बाद ही मुझे तीव्र  जलन महसूस  होनें लगी ...मानों किसी नें मिर्च  का पाउडर  डाल दिया हो ..कुछ देर में वो जलन असहनीय  हो गई  ,मैं जल्दी से घर की ओर भागी ..।
 बालों को सीधा ठंडे पानी के नीचे रखा ...बहुत  धोया पर जलन कम नही हुई  ...तभी मेरे बाल जडों से हाथ में आने लगे ..इतने सारे .....मैं तो जोर -जोर से रोने लगी ..।(उस समय बहुत  लम्बे बाल थे ) 
 घर वाले ढाढस  बंधा रहे थे ,मैं रोए जा रही थी ।
  बाल बहुत निकल चुके थे । 
   किससे कहते और क्या ? सभी अपनें ही थे ...।
    अभी भी उसका असर है ,दिल और दिमाग  पर ....।
     अब मन नहीं करता होली खेलने का ।
     बाद में पता लगा कि उनमें से एक फैक्ट्री में केमिस्ट था ..।
  शुभा मेहता 
3rd March ,2023
  

Friday, 10 February 2023

पैसा

पैसा हाथ का मैल है ,
ऐसा कहते हैं लोग ,
 अरे जनाब.....
   किस दुनियाँ  में
    जी रहे हैं आप
      यहाँ  तो हाथ में ,
        पैसा न हो अगर 
           लोग हाथ मिलाना ही 
              देते हैं छोड़.....

     शुभा मेहता 
     11th ,Feb, 2023

Thursday, 12 January 2023

पतंग

मेरे सभी ब्लॉगर मित्रों को मकर संक्रांति पर्व  की हार्दिक  शुभकामनाएँ  🌷🌷🌷🌷🌷
  यहाँ  तो यह पर्व  पतंग  पर्व  ही है ,सारा आसमान  रंग -बिरंगी पतंगों से सजा हुआ  दिखाई  देता है । ये कागज की पतंग  हमें बहुत कुछ सिखा देती है ......

  पतंग  सिखाती है ........
    जितने हल्के रहोगे 
    उड़ान  उतनी ही ऊंची होगी 
     जिंदगी में हमेशा 
       जमीन से जुड़े  रहो 
        चाहे जितना ऊपर जाओ 
          पैर जमीन  पर ही रखो 
             हवा का रुख पहचानों 
              डोर अपनी मजबूत रखो 
                सबको लेकर साथ चलो ।


शुभा मेहता 
 13th January, 2023

  

Saturday, 7 January 2023

दिल का दर्द

कल एक वृद्धाश्रम में अपनी सखी के साथ  जानें का अवसर मिला । वहाँ  जाकर मन बहुत  दुखी -सा हो गया ।
कुछ बगीचे में धूप सेक रही थी ,कुछ सीढियों पर बैठी थी ।
 सभी की आंखें रीती -सी थी । कुछ के हाथ में फोन था , किसी का भी फोन बजता तो वे झट अपनें फोन की ओर आशा भरी नजरों से देखने लगती ...इंतजार करती हुई  किसी अपने के फोन का .....।
उनकी आंखों में जो मैंने पढ़ा अभिव्यक्त  करनें की कोशिश  की है .........
  अचानक  फोन बजा 
    उनकी नजर झट 
      उधर दौडी ..
       कहाँ  बजा ....
        धीरे -से फुसफुसाई.....
          मेरा तो फोन कोमा में है 
           नहीं बजता ..
            न किसी का आता है 
              अब तो मुझे भी डर लगता है 
                अगर फोन कोमा से बाहर  भी निकला 
            और बजा ....उठाऊंगी नही 
            अब और काम भी क्या होगा 
           मेरा सब कुछ छीन कर .
           यहां पहुँचा दिया 
             अब कुछ बचा ही नही है ।

     शुभा मेहता 
   7th January  ,2023

              

           

Friday, 30 December 2022

कैसे हो ...

कैसे हो .....

मेरे ब्लॉगर परिवार  को नववर्ष की हार्दिक बधाई...🌷🌷🌷🌷
  आज  वर्ष  का अंतिम  दिन आ गया है ,सोचा अपने मित्रों के साथ एक सुंदर रचना सांझा करूं जो मुझे बहुत  पसंद आई, आशा है आप सभी को पसंद  आएगी ...सकारात्मक  जीवन जीने की प्रेरणा देती हुई  ये गुजराती कविता ,जिसका हिंदी अनुवाद  ,या फिर यूं कह सकते हैं कि मेरे शब्दों में प्रस्तुत  कर रही हूं ............कवि हैं श्री ध्रुव  भट्ट  जी ।


अचानक  जब कोई  
रास्ते में मिल जाता है 
 और पूछता है ..
  कैसे हो .....?
  तो मैं कहती हूं
   कि जैसे समुद्र की मौजें  
     हमेशा मौज -मस्ती में रहती हैं 
       मैं भी वैसी ही हूँ  ..मस्त ..
         और ऊपर  से कुदरत की दया है । 
         मेरी जेब भले ही फटी हुई  है 
          पर उस जेब के कौने में 
           छलकती -महकती खुशी को रखा है 
            अकेली भी खडी होती हूँ  
              तो भी लगता है जैसे मेले में खडी हूँ 
               मेरे दिल की जो छोटी सी पिटारी है 
                जिसमें ताला नहीं लगा सकते 
                 फिर भी खुशी का खजाना 
                   सुरक्षित  है ..।
                   जीवन में खुशी और दुख तो 
                   आते -जाते रहते हैं 
                    पर समुद्र  कहाँ  परवाह  करता है 
                      आती -जाती मौजों का 
                       सूरज रोज उगता है ,अस्त होता है 
                        पर मेरे सिर  पर आकाश  
                          हमेशा ही रहता है ..।
                    



Friday, 16 December 2022

कैसी कट रही है जिंदगी ?

कैसी कट रही है जिंदगी ?
हां ,कट ही रही है 
  ककडी, गाजर ,प्याज ,मूली के सलाद सी 
   कभी ककडी कडवी सी निकल जाती है 
    कभी जिंदगी मूली -सी चरपरी  हो जाती है 
       कभी गाजर -सी मीठी 
         कभी-कभी प्याज के आँसू दे जाती 
          यही तो है जिंदगी ...।
     शुभा मेहता 

  23April,2023