Wednesday, 23 August 2023

पाती

मेरे लिए  वो महज 
कागज का टुकडा नहीं था 
 दिल निकाल  कर रख दिया था मानों 
  एक -एक शब्द  प्रेम रस में पग़ा  था
   प्रेम  की ही स्याही थी 
     कलम भी प्रेम की...
     शब्दों को प्रेम रस में 
     डुबो -डुबो कर 
      बड़े जतन से 
      उस कागज पर 
      सजाया था 
        पता नहीं 
        तुमने पढा भी 
        या नहीं 
         या उडा दिया 
         चिंदी-चिंदी 
         हवा का रुख 
         जिधर था ......

शुभा मेहता 
23rd Aug ,2023
         

Monday, 24 July 2023

कमला जी

कमला जी ....लघुकथा

कमला जी सब काम निपटा कर थोडी देर के लिए बैठी ही थी कि आवाज आई, अरे भई थोडी चाय तो बना दो सुबह से बस बैठी ही रहती हो कुछ काम धाम तो है नहीं....कमला जी के लिए तो ये रोज का था ..सोच रही थी कि सुबह से चक्करघिन्नी की तरह से इधर से उधर नाचती रहती हैं ये काम वो काम ...और सुनने को तो यही मिलता कि तुम्हे काम ही क्या है ?
सच में उन्हें बहुत बुरा लगता था । पर चुप रहती ...लेकिन आजकल जब भी वो पढती कि अपने आप से प्यार करो ,अपना ध्यान खुद रखो तब सोच में पड जाती कि आखिरी बार कब उन्होने अपनी पसंद से कुछ किया था ,कभी अपनी पसंद की सब्जी बनाई या अपनी मरजी से कहीं घूमनें गई....
कितना पसंद था उन्हे घूमना -फिरना ,पेंटिंग तो वो इतनी अच्छी करती थी कि बस ..सालों बीत गए रंग और कूची हाथ में लिए जिदंगी के सारे रंग मानों कहीं खो गए है ....घर में कभी किसी नें पूछा भी नही कि कमला तुम्हारे क्या शौक हैं ..सब अपनें में ही मगन उनका वजूद तो बस सिमट कर रह गया था ।
सोचा बस अब मैं भी अपनें लिए जियूंगी कुछ पल अपनें लिए 
भी निकालूंगी ...
कमला जी उठीं ...रसोई में जाकर अपनी पसंद की अदरक वाली चाय बनाई ...आराम से बैठ कर पी ।फिर अच्छे से तैयार होकर बाजार की ओर चल दी ,रंग और कूचियां लेने ....
 घर वाले हैरानी से उन्हें देख रहे थे ।

शुभा मेहता

Saturday, 24 June 2023

वाह रे मानव ...

प्रकृति नें कितने ,
खूबसूरत रंगों से भरा है 
इस दुनियाँ को 
नीला आकाश ,नीला सागर 
 हरी-हरी घास
 रंग-बिरंगी सब्जियाँ 
  फूल और फल 
   खूबसूरत  वृक्ष
    तरह-तरह की वनस्पतियाँ
    क्या नहीं दिया उसने 
      ये नदियाँ ,ये पहाड़
      और बदले में हमनें क्या किया 
       सभी का रंग बिगाड़ कर रख दिया 
        आकाश प्रदूषित, नदियाँ ,सागर प्रदूषित 
          और तो और फल ,सब्जियों को भी 
           रासायनिक बना कर छोड़ दिया 
            इतना स्वार्थी कैसे हो गया 
              रे मानव तू .....।

Friday, 16 June 2023

मायानगरी ...

छोड़-छाड़ के नगर पुराना 
हम तो आ गए भैया 
 नए नगर को 
 कहते लोग जिसे हैं 
   मायानगरी .......
   जहाँ हर तरफ है अफरातफरी 
    गगनचुम्बी इमारतें ..
      किया हमनें भी वहीं बसेरा 
        अच्छा लग रहा है ..
          हाँ , याद तो आती है 
            पुराने शहर की 
             पर ठीक है 
             जीवन में आना जाना 
                लगा रहता है 
                   नई नगरिया 
                      नई डगरिया
                          बस अच्छे से गुजर जाए...
                    
शुभा मेहता

   
     
                       

Sunday, 12 March 2023

उम्र

उम्रदराज लोग 
अक्सर भूल जाया करते है 
कभी कुछ ,कभी कुछ 
अब मुझको ही ले लो 
 बासठ पार हो गए 
  त्रेसठवां सरक रहा है 
  या यूँ कह लो कि चल रहा है 
  नहीं जी ,दौड़ ही  रहा है 
   कब सुबह होती है ,कब शाम 
    पता ही नहीं चलता 
    व्यस्त रखती हूँ  
    अपने आप को 
      अपनी पसंद  का काम  करके 
       खाना बनाने से लेकर 
       संगीत  के रियाज तक 
       फिर भी ...........
      अक्सर  कुछ न कुछ 
        भूल ही जाती हूँ 
        कभी किसी चीज को रखकर 
         कभी किसी का नाम ही .....
          चाहती यही हूँ कि
         भूलूं तो जीवन के संघर्ष  को ..
          दिल दुखनें की बातें...
          कुछ कडवी यादें ...  
           बस याद रहे ,
             जीवन की मिठास 
             जी लेना है 
             उम्र के इन बोनस वर्षों को 
            बिन्दास........।
शुभा मेहता 
  12th March,2023

 
   

Thursday, 2 March 2023

होली (संस्मरण)

सबसे पहले मेरे सभी ब्लॉगर मित्रों को होली की हार्दिक  शुभकामनाएँ 🌷🌷🌷🌷🌷

  होली का पर्व  आपसी प्रेम व सद्भाव  बढाने का होता है ।कहते हैं इस दिन सब गिले शिकवे भूलकर  एक दूसरे के साथ मिलकर  रंग लगाते है और खुशियाँ  मनाते हैं ।
 मुझे भी मिलजुल कर होली खेलना अच्छा लगता था ....आप सोच रहे होंगे था से क्या मतलब ,अब अच्छा नहीं लगता क्या ?
 बात  कुछ पंद्रह साल  पुरानी है ।जब हम गाँधी जी की नगरी पोरबंदर  रहा करते थे । हमारी कॉलोनी में भी होली का त्योहार बहुत धूमधाम से मनाते थे हम सब मिलकर  । 
  सब लोग मस्ती में रंग और गुलाल से खेल रहे थे ...तभी किसी नें मेरे बालों में बहुत  सारा रंग  डाल दिया और कुछ क्षणों के बाद ही मुझे तीव्र  जलन महसूस  होनें लगी ...मानों किसी नें मिर्च  का पाउडर  डाल दिया हो ..कुछ देर में वो जलन असहनीय  हो गई  ,मैं जल्दी से घर की ओर भागी ..।
 बालों को सीधा ठंडे पानी के नीचे रखा ...बहुत  धोया पर जलन कम नही हुई  ...तभी मेरे बाल जडों से हाथ में आने लगे ..इतने सारे .....मैं तो जोर -जोर से रोने लगी ..।(उस समय बहुत  लम्बे बाल थे ) 
 घर वाले ढाढस  बंधा रहे थे ,मैं रोए जा रही थी ।
  बाल बहुत निकल चुके थे । 
   किससे कहते और क्या ? सभी अपनें ही थे ...।
    अभी भी उसका असर है ,दिल और दिमाग  पर ....।
     अब मन नहीं करता होली खेलने का ।
     बाद में पता लगा कि उनमें से एक फैक्ट्री में केमिस्ट था ..।
  शुभा मेहता 
3rd March ,2023
  

Friday, 10 February 2023

पैसा

पैसा हाथ का मैल है ,
ऐसा कहते हैं लोग ,
 अरे जनाब.....
   किस दुनियाँ  में
    जी रहे हैं आप
      यहाँ  तो हाथ में ,
        पैसा न हो अगर 
           लोग हाथ मिलाना ही 
              देते हैं छोड़.....

     शुभा मेहता 
     11th ,Feb, 2023