Friday 23 February 2024

सुंदरता

 सुंदरता की दुकानें 
  हर गली -मौहल्ले  में 
    चाहे महिलाएं हो या पुरुष 
     सभी के लिए  
       ब्यूटी पार्लर ......
       लोग जब 
       इन दुकानों से 
 बाहर निकलते हैं 
   तो पहचानें नही जाते 
      बहुत ढूंढी पर 
       मन की सुंदरता की 
         कोई दुकान 
           मिली नहीं ...
           
            
              


 
          

Monday 5 February 2024

झगडा ....

तीर ,कटार ,बरछी ,भाला 
 सभी आपस में झगड रहे थे 
 हम एक वार में किसी का भी 
  कर सकते हैं काम -तमाम 
  तभी दीवार पर टंगी बंदूक 
   इठला कर बोली ..
    मुझ -सा दम किसी में नहीं ..
     और शब्द .............
      पीछे से ,बस ..
        हौले -से मुस्कुरा दिए.....।

शुभा मेहता 
6th January ,2024


Saturday 23 December 2023

पंखी ....

सब कहते हैं 
इन पंछियों से सीखो कुछ ..
कैसे कुछ दिन बाद  ही ,
जब जान जाते हैं 
 कि हो गए  सक्षम 
   दे देते हैं नन्हें बच्चों को 
  खुला आसमान ..
   क्या पता है हमें 
 कि आते होगें 
 ये बच्चे कभी 
 मिलने ....
   तो फिर हम क्यों 
    इतने तन्हा 
     इतने उदास 
       इंतजार  करते 
        आने का उनके 
        सीखो ना ....
         पंछियों से ...
          क्या इनके पास दिल होता है 
             पता नही 
           हाँ ....इतना पता है 
           इनके पास  फोन नहीं होता 
             इनके कान नहीं तरसते  होंगे ना 
                फोन की घंटी सुनने को ...
                   शायद भूले हुए  पंछियों  का 
                      फोन आ जाए  ......

शुभा मेहता 
22thDec ,2023
    
   

Sunday 10 December 2023

रूठना ....

रूठने -मनाने के किस्से 
  बडे आम है.....
 किसी का रूठना 
  किसी का मनाना 
    पर मैं .....
    तो कभी रूठी ही नही 
      हालाँकि कई मौके आए 
       जीवन में .......
        कि रूठा जा सकता था 
           पर , जानती थी कि 
             कोई मनाएगा नहीं 
               सारी उम्र बस 
                इसको उसको मनाती ही रही 
                  लगी रही उधेडबुन में 
                    उधडी  ऊन से बुने 
                    स्वेटर की गांठें पीछे 
                        छुपाती रही ......।
                          

शुभा मेहता 
10th ,Dec ,2023

Friday 8 December 2023

मौसम का हाल

आज का दिन 
कैसा है ...?
यानि ,कैसा महसूस कर रहे हो आज ? 
प्रसन्न या थोडे -से उदास 
या फिर  चिंतित..
या पता ही नहीं चल पा रहा कि 
 कैसे हैं आज ....? 
  चलो ...अपनी भावनाओं को 
     मौसम मान लो ...
      फिर सोचो ......
      सोकर उठे तो मौसम  साफ,
      मन शांत, प्रसन्न.....
        पर एक घंटे बाद....
        मौसम विभाग  की सूचना...
          भारी बरसात, तूफान...
          हमारे मन के भाव भी 
           एकदम वैसे ही हैं..
            हमेशा बदलते रहते हैं
             मौसम  की तरह.....
           घना कोहरा ..
            चिंता .....
         गरजते बादल ...
        गुस्से से तमतमाता चेहरा 
        फिर अचानक  ....मन शांत 
         आकाश साफ......।

     शुभा मेहता 
    8th Dec ,2023

          
          


'Extra.....'(अतिरिक्त)

ये extra शब्द  
 बडा दिल दुखाता है 
  बार-बार यह अहसास 
  करवाना कि हम extra हैं 
    किसी भी खेल में ,
     या नृत्य स्पर्धा में 
     extra नृतक ...
     पता होता है उन्हें कि 
      खेलना या प्रस्तुति देना 
        नहीं है उनकी नियती 
         पर सीखना और 
          मेहनत करना तो है न 
          या जो मुख्य कलाकार 
           या खिलाडी हैं 
            उनका हर पल ध्यान रखना 
             कभी-कभार स्वार्थवश 
              ये सोच भी आती है 
               शायद किसी को चोट लग जाए 
                 तो नंबर मेरा आ जाए 
                  कोई न कोई आस लिए 
                ये extra अपना काम 
             किए जाते हैं......

शुभा मेहता 
8th Dec 2023



     

Thursday 7 December 2023

बालपन की सोच

'बेचारा दिल क्या करे ' बहुत दिनों के बाद  ये गाना सुना 
अचानक दिमाग बचपन की ओर चला गया ...बेचारा शब्द  सुनकर ...........
और मैं अतीत के पन्ने पलटने लगी । कभी कभी बचपन में किसी भी शब्द  का अर्थ  हम अपनी समझ के अनुसार  या फिर  किसी से सुनकर  दिमाग में बैठा लेते हैं और बचपन में दिमाग  में बैठी बात ,बहुत गहरी होती है ।
  बात  बहुत  पुरानी है , पाँचवी कक्षा में थी ..हमारी एक शिक्षिका जब भी बच्चों को डाँट  लगाती ..'बेचारी'शब्द का उपयोग  करती ,तब लगता कि किसी को गुस्से से डांटना हो तो इस 'बेचारी'शब्द का उपयोग  किया जाता है । 
 तो मैं भी कभी -कभार इस शब्द  का उपयोग कर लेती ।
 मगर बात  तब बिगडी जब एक बार  मेरी सहेली से झगडा हुआ तब मैंनें उसे बेचारी कहा ...फिर क्या था उसका गुट अलग .......तीन -चार लडकियाँ जोर जोर से मुझसे झगड़ने लगी .."तेरी हिम्मत कैसे हुई  इसे बेचारी कहने की ...इसके माँ,-बाप दोनों हैं उनके हिसाब  से बेचारी का मतलब अनाथ 
होता था ,जबकि मुझे उस समय ये पता नहीं था ...।
मेरा मन तो अब भी स्वीकारनें  को तैयार  नहीं था ये अर्थ  ।
पर अब क्या ..इस बात पर हमारी दोस्ती टूट गई  ..मैंने बहुत  समझाया ,पर वो समझी नही ..।