Thursday 17 November 2022

सुर

सु.......सुर से जीवन 
जीवन से सुर 
नाद ब्रम्ह ओंकार सुर 
  सुर की महिमा 
   क्या गाऊं मैं..
     नदियों की कलकल में सुर 
       पंछी की चहक में सुर  
 भौंरे की गुंजन में सुर  
  वर्षा की बूंदों में सुर 
  जब लगता है 'गीत 'शब्द  में 
   सम उपसर्ग  .....
     तब बनता है संगीत  
      सात सुरों का संगम 
       शुद्ध-विकृत मिल होते बारह 
     श्रुतियां होती हैं बाईस  
      स्वर और  श्रुति में भेद है इतना 
        जितना कुण्डली और सर्प में 
      स्वर बनते नियमित  आंदोलन  से 
       होते मधुर  ,करते प्रसन्नचित 
        सुर से जीवन, जीवन  से सुर  ।

    शुभा मेहता
    17th,November 2022

Tuesday 15 November 2022

किताब

किताबें ,सबसे अच्छी दोस्त  हमारी ...  
 मैंने जैसे ही इक सुन्दर से कवरवाली  किताब खोली 
  तो ..जैसे मैं तो उसमें खो ही गई  
    शायद ही कोई  ढूँढ  पाएगा मुझे 
      मेरी कुर्सी ,मेरा घर, 
       मेरा गद्दा ,मेरी चादर, 
मेरा गाँव.....सब पीछे छूट गया 
  रानी के साथ  घूमी ,
    राजकुमारी के साथ खेली 
      मछलियों के साथ  समुद्र की यात्रा की 
       कुछ दोस्त  भी बने 
         जिनका दुख -सुख मैंने बांटा 
          जैसे ही किताब  खत्म करके बाहर  आई 
            वो ही कुर्सी ,वो ही घर ...
             पर मन के अंदर रह गई  
            सुनहरी यादें......

शुभा मेहता 
  15th November  ,2022

Tuesday 8 November 2022

पतवार

मैं पतवार हूँ 
मैं पतवार हूँ 
 अपनी नैया की 
खुद खेवनहार हूँ 
  आँधी -तूफाँ में 
डटी रहूँ ....
 लहरों के जोर से 
   कभी न झुकूं
    नैया चाहे हिचकोले खाए 
       मगरमच्छ गर सामने आए 
         सक्षम हूँ इतनी 
         रखती हूँ अटल इरादे 
           कोई कितना भी जोर लगाए 
           नैया को मेरी गिरा न पाए 
            मैं पतवार  हूँ ,
     अपनी नैया की 
      खुद खेवनहार हूँ। 

      शुभा मेहता 
      8th Nov ,2022
           
 

Sunday 6 November 2022

सजगता ..(Mindfullness)

अक्सर हम काम करते समय  सजग नही रह पाते । काम कुछ कर रहे होते हैं ,ध्यान कहीं और ही होता है और ऐसे में काम  ठीक से नहीं हो पाते । 
    आज में बात करना चाहती हूँ कि किस प्रकार हम स्वयं के साथ साथ अपने छोटे-छोटे बच्चों को भी सजगता के साथ  जीने का पाठ पढा सकते हैं ।
  "सजगता "आखिर  है क्या ?और सजग रहना जरूरी क्यों है? सजगता का सरल अर्थ है वर्तमान में रहना ।जो काम हम कर रहे हैं उसे तल्लीनता के साथ करना ,हर एक क्षण को पूरी तरह  जीना ।
  जो लोग हर काम सजगता के साथ  करते हैं वो अधिक  जागरूक  होते हैं । हमें बचपन से ही बच्चो  में सजगता के बीज  बोने चाहिए  ।आजकल  अधिकांश बच्चे टी .वी . देखते हुए खाना खाते हैं,पढ़ाई  के समय भी उनका ध्यान  वहीं लगा रहता है । इसका असर उनकी पढाई  और स्वास्थ्य  पर भी पडता है ।
लेकिन  हर व्यक्ति ,खासकर  बच्चों में इतनी क्षमता होती है कि वो सजग होकर  काम कर सकते है ,बस जरूरत  है थोड़े से प्रयास की ......
पहला कदम  सजगता की ओर ..........
   सबसे पहले दैनिक कार्य  सजगता से करना शुरु करें ।बच्चों में शुरु से ही इस बीज को बोना प्रारंभ  करें ।छोटी -छोटी बातें जैसे चलना ,खेलना ,खाना सब सजगता के साथ  करना सिखाएं ..आगे चलकर  सफलता अवश्य  मिलेगी ।
ध्यान  रहे कि बच्चों पर इन बातों का दबाव  न बनें । सरलता और समझदारी के साथ  सिखाएं ।
 महत्वपूर्ण  बात यह है कि हम स्वयं भी इन आदतों को अपनाए  और सफलता की सीढी चढते जाएं।
धन्यवाद 🙏
शुभा मेहता 
 6th Nov ,2022