Friday 30 December 2022

कैसे हो ...

कैसे हो .....

मेरे ब्लॉगर परिवार  को नववर्ष की हार्दिक बधाई...🌷🌷🌷🌷
  आज  वर्ष  का अंतिम  दिन आ गया है ,सोचा अपने मित्रों के साथ एक सुंदर रचना सांझा करूं जो मुझे बहुत  पसंद आई, आशा है आप सभी को पसंद  आएगी ...सकारात्मक  जीवन जीने की प्रेरणा देती हुई  ये गुजराती कविता ,जिसका हिंदी अनुवाद  ,या फिर यूं कह सकते हैं कि मेरे शब्दों में प्रस्तुत  कर रही हूं ............कवि हैं श्री ध्रुव  भट्ट  जी ।


अचानक  जब कोई  
रास्ते में मिल जाता है 
 और पूछता है ..
  कैसे हो .....?
  तो मैं कहती हूं
   कि जैसे समुद्र की मौजें  
     हमेशा मौज -मस्ती में रहती हैं 
       मैं भी वैसी ही हूँ  ..मस्त ..
         और ऊपर  से कुदरत की दया है । 
         मेरी जेब भले ही फटी हुई  है 
          पर उस जेब के कौने में 
           छलकती -महकती खुशी को रखा है 
            अकेली भी खडी होती हूँ  
              तो भी लगता है जैसे मेले में खडी हूँ 
               मेरे दिल की जो छोटी सी पिटारी है 
                जिसमें ताला नहीं लगा सकते 
                 फिर भी खुशी का खजाना 
                   सुरक्षित  है ..।
                   जीवन में खुशी और दुख तो 
                   आते -जाते रहते हैं 
                    पर समुद्र  कहाँ  परवाह  करता है 
                      आती -जाती मौजों का 
                       सूरज रोज उगता है ,अस्त होता है 
                        पर मेरे सिर  पर आकाश  
                          हमेशा ही रहता है ..।
                    



Friday 16 December 2022

कैसी कट रही है जिंदगी ?

कैसी कट रही है जिंदगी ?
हां ,कट ही रही है 
  ककडी, गाजर ,प्याज ,मूली के सलाद सी 
   कभी ककडी कडवी सी निकल जाती है 
    कभी जिंदगी मूली -सी चरपरी  हो जाती है 
       कभी गाजर -सी मीठी 
         कभी-कभी प्याज के आँसू दे जाती 
          यही तो है जिंदगी ...।
     शुभा मेहता 

  23April,2023