Saturday 21 June 2014

आनन्द

सकारात्मक सोच का हमारे स्वास्थ्य के साथ घनिष्ठ संबंध है । पर कुछ शब्द हमारे  जीवन में ऐसे  घुस गए है और हमारी सकारात्मकता में बाधक बन जाते हैं ।
       आज मैं बात करूँगी उस शब्द की जिसका उपयोग जाने-अनजाने में दिन भर में कितनी ही बार करते हैं -बोर होना अथवा मन न लगना । और ये शब्द हमें ले जाता है नकारात्मक सोच की तरफ ।

  बड़े तो बड़े ,छोटे-छोटे बच्चे भी कहते सुनें जाते हैं कि हम 'बोर' हो रहे है ।(शायद  उन्हें इस शब्द का अर्थ भी मालूम नहीं होगा ) ।
        कितनी बार तो हम पहले से ही मन में सोच बना लेते है ,कि इस जगह अथवा काम में 
मजा  नहीं आएगा । और इस  तरह हम स्वयं तो परेशान ,उदास रहते ही है ,साथ वालों को भी परेशान कर देते है ।
     कुछ लोग होते है जो अपनी उपस्थिति से वातावरण को खुशहाल बना देते हैं । ऐसे लोगों का साथ सबको अच्छा लगता है । ऐसे लोग जिदंगी को खुल कर जीते है ।पर कुछ लोग जिदंगी का आनंद नहीं उठाते ।हर समय चिंता ,परेशानी से घिरे हुए ।
      अरे ,जिंदगी एक बार मिली है हँस-खेल कर गुजारें और 'बोर होना 'शब्द को तो  जीवन से निकाल ही दीजिए ।
     enjoy ur life .

Thursday 5 June 2014

पर्यावरण दिवस

हर साल आज के दिन यानी पाँच जून को विश्व पयार्वरण दिवस के रूप में मनाया जाता है । वो शायद इसलिये कि सदियों से हम पृथ्वी के द्वारा दिए गए अनमोल उपहारों -पेड़-पौधे नदियाँ, जंगल आदि का दुरुपयोग करते है ,तो हमें याद दिलाने के लिए कि हम अपनी धरती माँ की अच्छी तरह देखभाल करें ।
      हम केवल कहते है कि धरती माँ तुझे प्रणाम ,पर क्या सही अर्थ में हम धरती माँ का आदर करते हैं ,शायद नहीं ।
     हम तो इसे गंदा करने की जैसे होड में लगे हैं । नदियों का पानी प्रदूषित हो रहा है ,जंगल कम हो रहे है  ।
        आओ आज संकल्प करें ,पर्यावरण की रक्षा करें ।अपनी धरती माँ की अच्छी देखभाल करें ।अधिक पेड़ लगाएं ।क्योंकि -
      बूंद-बूंद पानी की है अनमोल ,पत्ती-पत्ती वृक्षों की है अनमोल ।