मन ने कहा ,चलो आज
चलोगी आत्म भ्रमण पर
मैं बोली क्यों नही
सबसे पहली मुलाकात
स्वयं के अहम् से
गुफ्तगू हुई
शायद इसी के
कारण उलझनें हैं कई
चाहा छोड़ दूँ राह पर इसे
कम्बख्त ,छोड़ता ही नहीं
साथ ही चला वो
आगे मिला क्रोध ..
बना दिया है
जिसने कइयों को
नाराज़ , खुद को बीमार
फिर टकराए .ईर्ष्या ,द्वेष
न खुद रहते चैन से ,न रहने देते
कब से खोज रही थी
जिस निर्मल प्रेम को
देखा तो दुबका बैठा था
इक कोने में
जगाया , झकझोर के उठाया
कहा ,जागो ....
आज दुनियाँ को
सबसे अधिक जरूरत है
तुम्हारी ,चलो
बना दो जग को
प्रेममय ,छेड़ो कोई
तान मधुर
सब रंग जाएँ
रंग तुम्हारे ......
मैं भी ....।
शुभा मेहता
10 May ,2017
Wednesday, 10 May 2017
आत्म भ्रमण
Monday, 1 May 2017
मजदूर....
सिर पर ईंटों को ढोता
चिलचिलाती धूप हो
या आँधी -तूफान
बरस रहा हो या
मेघ अविरत...
करना है
उसे तो काम
रोटी का सवाल है भाई
उसका छोटा बच्चा भी
दो ईंटें उठाए
चल रहा पीछे -पीछे
ढीली चड्डी
खिसकती जाती
पकड़ नहीं पाता
हाथ जो बोझ से लदे हैं
बहती नाक और पसीना
एक हुआ जाता
बनाता आशियाना
औरों का
खुद का पता नहीं
कभी यहाँ ,कभी वहाँ
शायद इधर -उधर में
जीवन पूरा हो जाएगा
उसे तो पता भी न होगा
मजदूर दिवस है आज.....
शुभा मेहता
1st May ,2017
Tuesday, 21 March 2017
प्रयास
मैंने कुछ सीखा आज
एक मकड़ी से
निरन्तर प्रयास करते रहना
जुट जाना जी जान से
चाहे , कोई कितनी ही बार
उजाड़ दे आशियाना
फिर-फिर प्रयास
कामयाबी की ओर
सुबह-सुबह जब देखा
एक मकड़ी बुन रही है जाला
अरे ,हटाओ इसे
कित्ता गन्दा है
बस जरा सा मौका मिला
बुनने लगती हैं
झट दौड़ कर ले आई झाड़ू
पट से हटा दिया
ये न सोचा किसी का आशियाना था वो
सोचा, उनका ब्लड प्रेशर नहीं बढ़ता होगा
या फिर डिप्रेशन ?
मनुष्यों की तरह ?
क्या होता होगा
उनका भी कोई डॉक्टर ?
पता नहीं
अब पता भी कैसे लगे
बेजुबां हैं वो तो .....
शाम को देखा
फिर वही मकडी़....
उसी जोश के साथ
बुनने में लगी थी
आशियां अपना
. . सीखा बहुत कुछ .....।
Wednesday, 8 March 2017
नारी दिवस
नही..... आज कुछ नहीं लिखा
महिला दिवस के उपलक्ष में
नारी ,शक्ति है ,दुर्गा है
सहनशीलता की मूरत है
कुछ नहीं लिखा
बस पढ़ रही हूँ
कुछ ऐसे ही .. संदेश
कुछ महिलाओं को
अपनी सफलता पर
मिले हुए सम्मान
कुछ गरीब .....
महिलाओं पर उतारी गई फिल्में
कैसे जीती हैं वो
ये दिखाया गया
सच...
पर होगा क्या इससे
प्रश्न यही व्यथित कर रहा
क्या इससे सुधरेगी
उनकी दशा ?
सदियों से सब ऐसे ही
है चल रहा
अगले वर्ष फिर
दोहराया जाएगा
यही सभी कुछ
पर शायद
रहेगा सब
जस का तस..।
शुभा मेहता
8th March ,2017
Friday, 24 February 2017
औकात...
ब्रांडेड जूते, चप्पलों से
ठसाठस भरती जा रही
जूतों की अलमारी
बेचारे सादे
बिना ब्रांड के
पुराने चप्पल
दबे जा रहे थे
दर्द के मारे
कराह रहे थे
तभी ,इठलाती
इक ब्रांडेड जूती बोली
यहाँ रहोगे तो ऐसे
ही रहना होगा दबकर
देखो ,हमारी चमक
और एक तुम
पुराने गंदे ...हा....हा....
फिर एक दिन
पुरानी जूतों की शेल्फ
रख दी गई बाहर
रात के अँधेरे में
चुपचाप पुराने चप्पल
निकले और
धुस गए अपनी
पुरानी शेल्फ में
अपनी "औकात"
जान गए थे ।
शुभा मेहता
24th feb .2017
Friday, 10 February 2017
आज...
जिंदगी के हर लम्हे को
मस्ती से गुजार लो
जो आज है
कल न होगा
जी भर के जी लो
आज खुशी से
तो , कल
हर पल
यादगार होगा
कल तो गया ,
कल अभी आया नही
अभी तो सिर्फ़
आज है पास हमारे
तो चलो ,
जी भर के जी लें
इन जादुई क्षणों को
आज ........
शुभा मेहता
10th feb .2017
Tuesday, 17 January 2017
अधिकार
अध्यापिका पढ़ा रही थी
मौलिक अधिकार
समानता का अधिकार ,
स्वतंत्रता का अधिकार
समझाया हर किसी को ,
है अधिकार
विचार व्यक्त करने का
तो मैंने पूछा
क्या हम भी अपने
मन के विचार व्यक्त
कर सकते हैं ?
वो बोली डाँटते हुए
चुप रहो ,कक्षा को
डिस्टर्ब मत करो
मैं बेचारी कुछ
समझ न पाई
घर जाके
पूछा माँ से
माँ ..क्या हम सभी को है
अधिकार अपने
विचार व्यक्त करने का?
है न माँ ? सच है न ?
माँ चुप ....
मैं तब भी
कुछ समझ न पाई .....