छोटी थी तब
माँ ने इक दिन
एक कहानी सुनाई थी
थी जिसमे एक राजकुमारी
ओढ़े जो रेशमी रजाई
बस तभी से उसने भी
चाही एक रेशमी रजाई
ओढ़ जिसे वो भी
बन जाये राजकुमारी सी
रोज़ स्वप्न में बन जाती
वो राजकुमारी
होती थी सपने में
उसके पास भी
रेशमी रजाई
पर जब उठती
पाती पैबंद अपनी
पुरानी रजाई पर
मन मसोस कर रह जाती
काश , सच्ची -मुच्ची
होती उसकी भी
एक रेशमी रजाई
बेहद खूबसूरत शुभा जी ।
ReplyDeleteबेहद खूबसूरत शुभा जी ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद राजेश जी ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद राजेश जी ।
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