Saturday 23 April 2016

रेशमी रजाई

    छोटी थी तब
     माँ ने इक दिन
    एक कहानी सुनाई थी
     थी जिसमे एक राजकुमारी
      ओढ़े जो रेशमी रजाई
      बस तभी से उसने भी
     चाही एक रेशमी रजाई
     ओढ़ जिसे वो भी
      बन जाये राजकुमारी सी
      रोज़ स्वप्न में बन जाती
      वो राजकुमारी
     होती थी सपने में
      उसके पास भी
      रेशमी रजाई
      पर जब उठती
      पाती पैबंद अपनी
      पुरानी रजाई पर
      मन मसोस कर रह जाती
      काश , सच्ची -मुच्ची
      होती उसकी भी
      एक रेशमी रजाई
     

4 comments:

  1. बेहद खूबसूरत शुभा जी ।

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  2. बेहद खूबसूरत शुभा जी ।

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  3. बहुत-बहुत धन्यवाद राजेश जी ।

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  4. बहुत-बहुत धन्यवाद राजेश जी ।

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