Saturday 11 January 2014

निंद्रा देवी

देखने में तो यह ढाई अक्षर ,का शब्द है,पर हमारे जीवन में इसका कितना महत्व है यह तो वही जान सकता है जिसे नींद नहीँ आती ।मुझे याद है बचपन में हम खेल-खेल में इसे निद्रादेवी कहते थे । उस समय पता नही था कयों ? पर अब लगता सच ही है  । जिस पर निद्रा देवी प्रसन्न है वह कितना सुखी है । जब हमारे घर कोई मेहमान आते हैं या फिर हम कहीँ जाते हैं तो सुबह सबसे पहला प्रश्न यही पूछा जाता है -नींद आई ?इससे ही पता चलता है कि यह हमारे जीवन का अहं हिस्सा है ।
         अगर हमें अच्छी नींद आती है तो हमारी  जीवन शक्ति, उर्जा और कार्य क्षमता बढती है । जब हम सो रहे होते हैं तब हमारा बाहरी शरीर ही आराम मे नहीं होता बल्कि आंतरिक चेतना, अन्तःस्त्रावी ग्रन्थियाँ और ज्ञानेन्द्रियों को भी आराम मिलता है । संक्षेप में हम कहें तो नींद से तन-मन तंदुरुस्त बनता है ।
        मानव मस्तिष्क में जाग्रत चेतन व अवचेतन अवस्था हमेशा कार्यरत रहती हैं परंतु नींद के समय चेतनता सुषुप्त हो जाती है  लेकिन अवचेतन अवस्था के अंदर समग्र स्मृतियाँ ,विचार, अनुभव आदि प्रवर्त रहते हैं ।
       अब प्रश्न ये है कि जिन लोगों को कम नींद आती है उसका कारण कया है? मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि अनिद्रा के कारण बहुत गहरे नही होते । छोटी-छोटी बातों पर लोग विचाराधीन हो जाते हैं और अनिद्रा के शिकार हो जीते हैं । नींद न आने पर लोग अनेक प्रकार की दवाओें का सेवन करते है लेकिन उनसे शरीर केवल तंद्रा में रहता है और शरीर सुस्त व क्षमता शून्य बनता है ।
     अगर थोड़ा प्रयास किया जाए तो धीरे-धीरे अनिद्रा रोग पर विजय पाई जा सकती है ।
   * सोने का समय निश्चित करें ।
   * गुनगुने पानी से स्नान करके सोएं ।
    *भोजन व सोने के बीच कम से कम दो घंटे का अंतर रखें ।
   *ज्ञान मुद्रा का अभ्यास दस से पंद्रह मिनट करें ।यह अनिद्रा रोग के लिए राम बाण है ।
*और अंत में मस्त रहो मस्ती में ।

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