Tuesday 4 February 2014

बसंत

आई  ऋतु बसंत की मनभावन,
     हर कयारी है महक रही ,
    चिड़िया दिश-दिश चहक रही ।
       हरियाली संग खिले फूल हैं ,
       पीले-पीले चारों ओर ,
       गूँज रही टोली भँवरों की,
     डाल -डाल पर कुहके कोयल ,
       नाच रहे हैं मोर ।
       देख प्रकृति की यह शोभा ,
      झूम उठा है मन मेरा भी ।

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