देखो कोई अल्हड किशोरी 
     बस अपने में ही मगन 
        कर रही है जतन
     कि,कच्ची अमियाँ 
     लग जाये कुछ हाथ ।
     न कोई चिंता न फिकर
      है दुनियाँ के झंझटों से
      बेखबर कुछ इस तरह 
     बस अपनी ही धुन में 
      कितना अच्छा हो
      जीवन के सारे पल
     ऐसे ही बीतें
      उन्मुक्त और बिंदास ।
     
     
         
 
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