Wednesday, 1 July 2015

भ्रम

   कभी -कभी भ्रम में जीना अच्छा लगता है
     अगर ये भ्रम है कि मैँ खुश हूँ , तो यही सही
     कुछ पल तो हँस के गुज़ार लेती हूँ ।
       अगर ये भ्रम है कि मुझ सा दूजा कोई नहीं ,
             तो यही सही
        कुछ पल अपने आप पर इतरा तो लेती हूँ
         अगर ये भ्रम है कि चाहते हैं सभी  मुझे
           तो यही सही
      कुछ पल प्रेम के सागर में डुबकी लगा लेती हूँ ।
       लगता है जैसे ये सारा संसार
        है भ्रम का मायाजाल
       भ्रम ही सही ,मगर अच्छा है
        ताउम्र यूँ ही बना रहे तो ,
      जीना हो जाये , कितना आसान
        कभी -कभी भ्रम में जीना ....   
      
     

1 comment:

  1. सच में, कभी-कभी छोटे-छोटे भ्रम ही हमें संभाल लेते हैं। अगर मैं मान लूँ कि मैं खुश हूँ, तो कुछ देर के लिए सही में हल्का महसूस कर लेती हूँ। अगर मैं सोच लूँ कि मैं खास हूँ, तो आत्मा को थोड़ा सहारा मिल जाता है। और अगर लगे कि लोग मुझे चाहते हैं, तो दिल भी कुछ पल मुस्कुरा जाता है।

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