हँसती -गाती ,
मुस्कुराती ,सुंदर ,सलोनी -सी
माँ की दुलारी थी .
कितने सारे सपने थे उसके
कुचल दी गई
वहशी दरिंदों द्वारा
क्या हो गया है
इंसान ...
इंसान से मिटकर
बन गया हैवान है
रो रही है मानवता
फूटफूट कर
जीत रही है ताकत
सत्ता की ..
पैसे की ...
बिक रहे हैं लोग
चंद सिक्कों की
खनखनाहट मे ।
शुभा मेहता
30th Sept ,2020