Tuesday 24 November 2020

पुराना दोस्त

सुना था कि ,तुमनें
 इस दिवाली .......
सारा घर साफ कर डाला ।
घर ? या वो यादें
 वो सपने ..
  वो नोटबुक की स्याही 
    वो आँगन का बडा पेड़
      बैठ छाँव में जिसकी 
        गाते थे गीत 
         खेलते थे अंताक्षरी 
        वो भी कटवा दिया शायद ।
        वो झूठमूठ के झगड़े
          वो हमारी खिलखिलाकर 
            सभी साफ कर दी 
             साबुन से धोकर ।
             सबब इसका न जान सकी अब तक
            जान बसती थी एक -दूसरे में हमारी   
             कोई बात नहीं दोस्त ..
                देखो नये सपने ..
              भर लो नए रंग ......
              मैं भी पा ही लूँगी कोई 
            दोस्त ............अच्छा सा ।

      24th Nov ,2020
           
    


        
            

             
              
    

16 comments:

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद सर ।

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  2. बहुत-बहुत धन्यवाद शिवम् जी ।

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  3. बचपन की मित्रता को सजीव करती सुंदर अभिव्यक्ति ..।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद सखी ।

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  4. आदरणीया शुभा जी, इस सटीक व्यंग्य ओ रचते हुए भावनाओं को खूब पिरोया है आपने । आपकी इस वैचारिक उत्कृष्ठता को नमन करते है साधुवाद। बहुत-बहुत शुभकामनाएँ । शुभ प्रभात।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद पुरुषोत्तम जी ।

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  5. बहुत-बहुत धन्यवाद यशोदा जी ।

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    1. धन्यवाद आलोक जी ।

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  7. काट देने के बावजूद कई यादें, सपने, नहीं जाते ... पर हाँ नए को ज़रूर ढूँढना होता है ... सफाई जरूरी है दीपावली में ...

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