मेरी क्या बिसात
जो लिख पाऊं कुछ
तेरे लिए ,तेरे बारे मेंं
तू तो है मेरी जीवन धार
ये मेरा जीवन है
तुझ पर निसार
मन तो अभी भी करता है
तेरी गोद में सोने का
मैं करूँ बदमाशी और तू
डाँट लगाए ...
तेरी तो वो डाँट भी लगती
बहुत मीठी सी ...
और गुस्सा होते -होते
जो तेरा हौले से मुस्कुराना
फिर बैठा अपनी गोद में
प्यार से सहलाना
माँ तू तो है ही
कितनी प्यारी
मेरी क्या बिसात
जो लिख पाऊँ कुछ
तेरे बारे में ।
शुभा मेहता
3rd May ,2022
''माँ अपने आप में एक पूरा ब्रह्माण्ड हैं'',
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर ll
बहुत-बहुत धन्यवाद मनोज जी ।
Deleteशुभा दी, माँ तो बस माँ होती है। बहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteधन्यवाद ज्योति ।
Deleteसुन्दर
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद सर ।
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद आलोक जी
Deleteसच माँ का स्नेह लिखे वह शब्द कहाँ?
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर।
सादर
बहुत-बहुत धन्यवाद अनीता
Deleteबहुत सुंदर!!!
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद विश्वमोहन जी
Deleteसही कहा शुभा जी माँ के व्यक्तित्व को शब्दों में समेट लें ऐसे शब्द ही नहीं ।
ReplyDeleteसुंदर सृजन।
बहुत-बहुत धन्यवाद सखी ।
Deleteभावमय करते शब्द ... मन को छूती प्रस्तुति शुभा जी बहुत दिन बाद आपके ब्लॉग पर आया ..बहुत अच्छा लगा
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद संजय जी
Deleteमाँ की महिमा दर्शाते सुंदर शब्द...
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद विकास जी ।
Deleteवाह बहुत ही सुंदर
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद ओंकार जी
Deleteइतना लिख के भीकम है माँ के लिए ... ये सच्चाई है ...
ReplyDeleteधन्यवाद दिगंबर जी ।
Deleteमाँ को लिखने की बिसात कहाँ
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सृजन।
सच में मां को कौन सी लेखनी लिखने में सक्षम है। माँ के लिए बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति प्रिय शुभा जी 🙏
ReplyDelete