Tuesday 8 November 2022

पतवार

मैं पतवार हूँ 
मैं पतवार हूँ 
 अपनी नैया की 
खुद खेवनहार हूँ 
  आँधी -तूफाँ में 
डटी रहूँ ....
 लहरों के जोर से 
   कभी न झुकूं
    नैया चाहे हिचकोले खाए 
       मगरमच्छ गर सामने आए 
         सक्षम हूँ इतनी 
         रखती हूँ अटल इरादे 
           कोई कितना भी जोर लगाए 
           नैया को मेरी गिरा न पाए 
            मैं पतवार  हूँ ,
     अपनी नैया की 
      खुद खेवनहार हूँ। 

      शुभा मेहता 
      8th Nov ,2022
           
 

4 comments:

  1. प्रेरणास्पद रचना

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद सखी अनीता जी

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  2. प्रेरक पंक्तियाँ

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    1. धन्यवाद ओंकार जी ।

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