आओ आज सभी मिलकर
संक्रांति पर्व मनाये
चढ़ जाये सब
छत पर भैया
खूब पतंग उड़ाए
हो जाये पेच पर पेच
ढील पर ढील दे भाई
सब मिलकर फिर
बोले भैय्या - वो काटा ......।
तिल के लड्डू , चिक्की , गजक
बोर , गन्ने और जामफल
खूब मजे से खाएं ।
लेकिन देखो , सम्हल के भैया
कोई पक्षी डोर में फँसकर
कहीं उलझ न जाए
जीवन किसी निरीह प्राणी का
खतरे में न पड़ जाये ।
Good !
ReplyDeleteThanks
ReplyDelete……बेहतरीन चित्रण्।
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