जल ही जीवन है
जानते हैंं सब
पर रखते इसका ध्यान कितने
कि बचाना है इसको
करके जतन
समझना होगा इसका मोल
क्योंकि ये तो है अनमोल
बहते नल दिन रात कहीँ
नल चलते जब ब्रश करते
नल चलते ,बरतन धुलते
सोचो कितना है नुकसान
जान लो हर बूँद की कीमत
समय रहते पहचान लो ये बात
रखो ध्यान ,रखो ध्यान ...।
शुभा मेहता.
22March 2018
Nihayat hi jaroori sandesh deti hai ye kavita jal ki kimat pehchaan na krna jaroori h sahaj saral bhasha ka upyog hi hame jal ka mahatva samjha skta h nicely penned god bless you love you 💐💐💐💐💐💐😘😘😘😘😘👏👏👏👏👏👏
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार श्वेता ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर सीख देती रचना....
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार आपका..।
Deleteबहुत सुन्दर सीख भरी रचना .
ReplyDeleteबहुत अच्छी सीख देती रचना
ReplyDeleteबहुत ही सुंदर लिखा है।
ReplyDeleteहम अभी जल की कीमत नहीं जान पाए हैं।