अपनी तन्हाई को
सीने में समेटे रहती हूँ
कभी हँस लेती हूँ
.कभी चुपचाप
कुछ अश्क पी लेती हूँ
कभी पलट पन्ने डायरियों के
सूखे फूलों की महक लेती हूँ
बैठ झरोखों मेंं यादों के
कुछ सैर किया करती हूँ
अब तन्हाई रास आ गई है मुझको
सिर्फ ख्वाबों में तेरा नाम लिया करती हूँ।
शुभा मेहता ..
Are wah ye toh bahut khoobsurat kavita ho gyi shubha sirf khwabon mein tera naam le liya krti hoon acchi panktiyaan hain ab tanhai bhi tere yoner ka ho gya h bahut bahut pyaar 😘😘😘😘😘💐💐💐💐💐😊😊😊😊👍👍👍👍👍👍👍
ReplyDeleteधन्यवाद भाई ।
DeleteBeautiful composition
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद ...।
Deleteवाह!!! बहुत सुंदर अभिव्यक्ति, शुभा जी ।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद ..।
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना हमारे सोमवारीय विशेषांक २ अप्रैल २०१८ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
बहुत बहुत धन्यवाद श्वेता ..मेरी रचना को सम्मिलित करनें के लिए ।
Deleteआदरणीय / आदरणीया आपके द्वारा 'सृजित' रचना ''लोकतंत्र'' संवाद मंच पर 'सोमवार' ० २ अप्रैल २०१८ को साप्ताहिक 'सोमवारीय' अंक में लिंक की गई है। आमंत्रण में आपको 'लोकतंत्र' संवाद मंच की ओर से शुभकामनाएं और टिप्पणी दोनों समाहित हैं। अतः आप सादर आमंत्रित हैं। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
ReplyDeleteटीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।
निमंत्रण
विशेष : 'सोमवार' ० २ अप्रैल २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने सोमवारीय साप्ताहिक अंक में आदरणीय 'विश्वमोहन' जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है।
अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/
बहुत बहुत धन्यवाद ध्रुव जी ।
Deleteबहुत सुन्दर रचना....
ReplyDeleteवाह!!!
बहुत बहुत धन्यवाद सुधा जी ।
Deleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद नीतू जी ।
DeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDeleteकई दिनों बाद आना हुआ आपके ब्लॉग पर... पोस्ट पढ़ी तो शानदार लगी लफ़्ज़ों में गहरे अहसास .....बहुत ही खूबसूरत.....
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद संजय जी ।।
Deleteसुंदर पंक्तियां हैं।
ReplyDeleteधन्यवाद।
Deleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद रितु जी ।
Deleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद।
Deleteजो दिल में होता है और हम उसे भुलाना चाहते हैं वही अक्सर ख्वाब में सामने आता है
ReplyDeleteबहुत सुन्दर