सुर से जीवन
जीवन से सुर
नाद ब्रह्म ओंकार सुर
सुर की महिमा क्या गाऊँ मैं
पाऊँ सारी सृष्टि मेंं सुर
नदियों की कलकल मेंं सुर
पंछी की चीं-चीं मेंं सुर
भौंरे की गुंजन मेंं सुर
बर्षा की बूंदों मेंं सुर
मंदिर के घंटों मेंं सुर
बालक के हँसने मेंं सुर ..।
जब लगता है गीत शब्द मेंं
सम् उपसर्ग.....
बन जाता संगीत
सात सुरों का संगम है ये
शुद्ध -विकृत मिल बनते बारह
श्रुतियाँ हैं बाईस.....
स्वर और श्रुति मेंं भेद है इतना
जितना सर्प और कुंडली मेंं
जब फैले है सुरों का जादू
मन आनंदित हो जाता
सुर की महिमा क्या गाऊँ मैं
परम लोक ले जाए सुर ।
शुभा मेहता
25thSept. 2019
अद्भभुतम् ऐसी कविता एक संगीत मर्मज्ञ ही लिख सकती है वाह वाह क्या बात है जीवन रस भी सात सुरों का मिश्रण है ढेर ढेर आशीर्वाद और प्यार यशस्वी हो खूब लिख 👏👏😘😘😘😘💐💐😊😊
ReplyDelete😊😊😊
Deleteबहुत ही सुन्दर सृजन दी
ReplyDeleteसादर
हृदयतल से आभार सखी ।
Deleteवहा शुभा जी गायन के साथ साथ संगीत की पूर्ण जानकारी है आपको ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर तरीके से अपने रचना के माध्यम से सब समझाया ।
बहुत खास प्रस्तुति।
साधुवाद।
बहुत-बहुत धन्यवाद सखी ।
Deleteवाह वाह
ReplyDeleteधन्यवाद भाई ।
DeleteSundar Kavita Didi
ReplyDeleteधन्यवाद नितिन भाई ।
Deleteबहुत ही सुन्दर रचना
ReplyDeleteधन्यवाद सखी ।
Deleteबहुत ही सुन्दर रचना
ReplyDeleteप्राकृति से ही सुर और श्रुतियों का सृजन है ... सभी आवाजें प्राकृति में बिखरी हैं ...
ReplyDeleteइनका आनद जीवन का आनंद है ...
धन्यवाद दिगंबर जी ।
Deleteसुर से जीवन
ReplyDeleteजीवन से सुर
नाद ब्रह्म ओंकार सुर
लाजबाब सृजन.....
बहुत-बहुत धन्यवाद सखी ।
Deleteवाह आदरणीया दीदी जी बड़ी खूबसूरती से आपने सुर के माहात्म को समझाया है।
ReplyDeleteबहुत सुंदर पंक्तियाँ
सादर नमन सुप्रभात
बहुत-बहुत धन्यवाद आँचल ।
Deleteसारगर्भित रचना ... शून्य से अनन्त तक सुर ..
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद सुबोध जी ।
Deleteसुर से जीवन
ReplyDeleteजीवन से सुर
नाद ब्रह्म ओंकार सुर
लाजबाब सृजन.....संगीत की पूर्ण जानकारी
बहुत-बहुत धन्यवाद संजय जी ।
Deleteबहुत ही सुंदर रचना।लाजवाब।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद सुजाता जी।
Deleteबहुत-बहुत धन्यवाद श्वेता ।
ReplyDeleteआनन्दमयी और सुखदायनी लेखनी है आपकी।
ReplyDeleteसुंदर रचना।
पधारें शून्य पार
बहुत-बहुत धन्यवाद ।
Deleteसुर से जीवन
ReplyDeleteजीवन से सुर
नाद ब्रह्म ओंकार सुर
सुर की महिमा क्या गाऊँ मैं
पाऊँ सारी सृष्टि मेंं सुर .... बहुत ही बेहतरीन रचना सखी 👌
बहुत-बहुत आभार सखी ।
Deleteवाह! बहुत सुंदर सुर!
ReplyDeleteबहुत-बहुत आभार ।
Deleteशानदार पंक्तियाँ।
ReplyDeleteबहुत-बहुत धन्यवाद ।
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