Tuesday, 24 September 2019

सुर की महिमा ...

सुर से जीवन
        जीवन से सुर
         नाद ब्रह्म ओंकार सुर
         सुर की महिमा क्या गाऊँ मैं
         पाऊँ सारी सृष्टि मेंं सुर
         नदियों की कलकल मेंं सुर
           पंछी की चीं-चीं मेंं सुर
           भौंरे की गुंजन मेंं सुर
             बर्षा की बूंदों मेंं सुर
               मंदिर के घंटों मेंं सुर
                बालक के हँसने मेंं सुर ..।
                 जब लगता है गीत शब्द मेंं
                सम् उपसर्ग.....
                   बन जाता संगीत
                   सात सुरों का संगम है ये
                  शुद्ध -विकृत मिल बनते बारह
                 श्रुतियाँ हैं बाईस.....
                 स्वर और श्रुति मेंं भेद है इतना
                 जितना सर्प और कुंडली मेंं
                 जब फैले है सुरों का जादू
                 मन आनंदित हो जाता
                 सुर की महिमा क्या गाऊँ मैं
                  परम लोक ले जाए सुर ।

      शुभा मेहता
    25thSept. 2019
                 

   
               
        

34 comments:

  1. अद्भभुतम् ऐसी कविता एक संगीत मर्मज्ञ ही लिख सकती है वाह वाह क्या बात है जीवन रस भी सात सुरों का मिश्रण है ढेर ढेर आशीर्वाद और प्यार यशस्वी हो खूब लिख 👏👏😘😘😘😘💐💐😊😊

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  2. बहुत ही सुन्दर सृजन दी
    सादर

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    1. हृदयतल से आभार सखी ।

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  3. वहा शुभा जी गायन के साथ साथ संगीत की पूर्ण जानकारी है आपको ।

    बहुत सुंदर तरीके से अपने रचना के माध्यम से सब समझाया ।
    बहुत खास प्रस्तुति।
    साधुवाद।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद सखी ।

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    1. धन्यवाद नितिन भाई ।

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  5. बहुत ही सुन्दर रचना

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  6. बहुत ही सुन्दर रचना

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  7. प्राकृति से ही सुर और श्रुतियों का सृजन है ... सभी आवाजें प्राकृति में बिखरी हैं ...
    इनका आनद जीवन का आनंद है ...

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    1. धन्यवाद दिगंबर जी ।

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  8. सुर से जीवन
    जीवन से सुर
    नाद ब्रह्म ओंकार सुर

    लाजबाब सृजन.....

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद सखी ।

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  9. वाह आदरणीया दीदी जी बड़ी खूबसूरती से आपने सुर के माहात्म को समझाया है।
    बहुत सुंदर पंक्तियाँ
    सादर नमन सुप्रभात

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद आँचल ।

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  10. सारगर्भित रचना ... शून्य से अनन्त तक सुर ..

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद सुबोध जी ।

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  11. सुर से जीवन
    जीवन से सुर
    नाद ब्रह्म ओंकार सुर

    लाजबाब सृजन.....संगीत की पूर्ण जानकारी

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद संजय जी ।

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  12. बहुत ही सुंदर रचना।लाजवाब।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद सुजाता जी।

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  13. बहुत-बहुत धन्यवाद श्वेता ।

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  14. आनन्दमयी और सुखदायनी लेखनी है आपकी।
    सुंदर रचना।
    पधारें शून्य पार 

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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  15. सुर से जीवन
    जीवन से सुर
    नाद ब्रह्म ओंकार सुर
    सुर की महिमा क्या गाऊँ मैं
    पाऊँ सारी सृष्टि मेंं सुर .... बहुत ही बेहतरीन रचना सखी 👌

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    1. बहुत-बहुत आभार सखी ।

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  16. वाह! बहुत सुंदर सुर!

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  17. शानदार पंक्तियाँ।

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    1. बहुत-बहुत धन्यवाद ।

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