सकारात्मक सोच का हमारे स्वास्थ्य के साथ घनिष्ठ संबंध है । पर कुछ शब्द हमारे जीवन में ऐसे घुस गए है और हमारी सकारात्मकता में बाधक बन जाते हैं ।
आज मैं बात करूँगी उस शब्द की जिसका उपयोग जाने-अनजाने में दिन भर में कितनी ही बार करते हैं -बोर होना अथवा मन न लगना । और ये शब्द हमें ले जाता है नकारात्मक सोच की तरफ ।
बड़े तो बड़े ,छोटे-छोटे बच्चे भी कहते सुनें जाते हैं कि हम 'बोर' हो रहे है ।(शायद उन्हें इस शब्द का अर्थ भी मालूम नहीं होगा ) ।
कितनी बार तो हम पहले से ही मन में सोच बना लेते है ,कि इस जगह अथवा काम में
मजा नहीं आएगा । और इस तरह हम स्वयं तो परेशान ,उदास रहते ही है ,साथ वालों को भी परेशान कर देते है ।
कुछ लोग होते है जो अपनी उपस्थिति से वातावरण को खुशहाल बना देते हैं । ऐसे लोगों का साथ सबको अच्छा लगता है । ऐसे लोग जिदंगी को खुल कर जीते है ।पर कुछ लोग जिदंगी का आनंद नहीं उठाते ।हर समय चिंता ,परेशानी से घिरे हुए ।
अरे ,जिंदगी एक बार मिली है हँस-खेल कर गुजारें और 'बोर होना 'शब्द को तो जीवन से निकाल ही दीजिए ।
enjoy ur life .