कितने खुश रहते थे हम सब
मिल जाती थी खुशियाँ
छोटी-छोटी बातों में
मिल-बाँट के खाते
बिन खिलौने भी
कितने ही खेल खेलते
कभी छोटे-छोटे
पत्थर के गोल -गोल
टुकड़ों से ....
कभी इमली के बीजों से
कभी माँ की चूड़ियों से
सब के बीच होती थी
एक ही गेंद ...
फिर भी .....
कितने खुश रहते थे हम सब ।
आज चाहे कितनी भी मिठाइयाँ हों
तरह-तरह के फल .....
पर जो मिठास माँ के बनाएं
चीनी के पराँठे में थी
वो इन सब में कहाँ ..।
शुभा मेहता
30 July ,2019
Monday, 29 July 2019
मिठास
Monday, 8 July 2019
सुबह ....
(1)
चूडियों की खनक
दूध वाले की घंटी
चाय की महक
सुबह हो गई ....।
( 2)
चिडियों की चहचहाहट
बच्चों और मम्मी की भागमभाग
कूछ भूले तो नहीं ?
बस्ता ठीक से भरा ?
टिफिन मेंं क्या रखा ?
चिल्लम -पुकार
सुबह हो गई ...।
(3)
मंदिर मेंं घंटी की आवाज़
मीठे भजन का नाद
जाग -जाग जदुनंदन प्यारे ...
धूप की मीठी सुगंध
प्रसाद की महक
सुबह हो गई ..।
शुभा मेहता
7th July 2019
Wednesday, 3 July 2019
किताब ....(किताबें हमारी सबसे अच्छी मित्र होती हैं )
इक सुंदर से कवर वाली किताब
जैसे ही पढने को खोली
मैंं तो उसमें खो ही गई ...
शायद ही कोई ढूँढ पाएगा मुझे
मेरी कुर्सी , मेरा घर
मेरा गाँव .......
सब कुछ पीछे छूट गया
रानी के साथ घूमी-फिरी
राजकुमारी के साथ खेली
राजा के साथ भोजन किया
मछलियों के साथ समुद्र की यात्रा की
कुछ दोस्त भी बने
जिनका दुख-सुख साथ मेंं बाँटा
पर जैसे ही आखिरी पन्ना खत्म हुआ
फिर वही कुर्सी ,वही घर ,वही गांव
पर मन के अंदर रह गई सुनहरी यादें
एक सुकून ........।
शुभा मेहता
3rd july ,2019