Sunday, 30 January 2022

"हार"

न डर हार से 
सीख सबक 
दिखा दे अपनी ताकत 
बेहतर से बेहतरीन बनकर 
यूँ ही नहीं मिलती मंजिलें 
जगा दिल में एक जुनून 
यहाँ लडना भी खुद है
संभलना भी खु्द है
गिर कर उठना भी खुद है 
और हार कर जीतना भी ।



शुभा मेहता 
29th January ,2022

Sunday, 2 January 2022

लघुकथा ..पदचिह्न

नन्ही रानी अपने छोटे-छोटे कदमों से घर में इधर-उधर दौड रही थी । कभी गुडिया लेने एक कमरे से दूसरे में भागती तो कभी दूसरा खिलौना ।
  उसकी माँ घर की सफाई कर ,पोछा लगा रही थी ।
रानी ....."एक जगह बैठ नहीं सकती ,देख नहीं रही पोछा लग रहा है सब जगह पगले (पैरों के निशान )हो जाएगें ।पता नहीं कब अक्ल आएगी।उसकी दादी नें डाँटते हुए कहा ।
 नन्ही रानी सहम कर एक जगह बैठ गई ।
   तभी दादी जोर जोर से गाने लगी ...पगला नो पाडनार देजे रे भवानी माँ ( अर्थात पुत्र देना हे माँ ,जो पूरे घर में पदचिह्न करे )
रानी नें अपनी माँ की ओर देखा .....उसकी आँखें आँसुओं से भरी थी ।
 
    शुभा मेहता 
  2nd January , 2022