अक्सर भूल जाया करते है
कभी कुछ ,कभी कुछ
अब मुझको ही ले लो
बासठ पार हो गए
त्रेसठवां सरक रहा है
या यूँ कह लो कि चल रहा है
नहीं जी ,दौड़ ही रहा है
कब सुबह होती है ,कब शाम
पता ही नहीं चलता
व्यस्त रखती हूँ
अपने आप को
अपनी पसंद का काम करके
खाना बनाने से लेकर
संगीत के रियाज तक
फिर भी ...........
अक्सर कुछ न कुछ
भूल ही जाती हूँ
कभी किसी चीज को रखकर
कभी किसी का नाम ही .....
चाहती यही हूँ कि
भूलूं तो जीवन के संघर्ष को ..
दिल दुखनें की बातें...
कुछ कडवी यादें ...
बस याद रहे ,
जीवन की मिठास
जी लेना है
उम्र के इन बोनस वर्षों को
बिन्दास........।
शुभा मेहता
12th March,2023