इस दीवाली
अपने मन का
दीप जलाएं
भेदभाव छोडकर सारे
दीप से दीप जलाएं
कर दें उजियारा चहुँ ओर
दीपमाल से गुँथ जाएंं
जैसे इक माला के फूल
तोड़ न पाए इस माला को
कोई दुश्मन .............,
करले चाहे कोशिश कितनी
चाहे जितना जोर लगाए
आओ हम सब .. .
शुभा मेहता
19th Oct ,2019