Tuesday, 21 March 2017

प्रयास

   मैंने कुछ सीखा आज
     एक मकड़ी से
   निरन्तर प्रयास करते रहना
     जुट जाना जी जान से
     चाहे , कोई कितनी ही बार
     उजाड़ दे आशियाना
       फिर-फिर  प्रयास
        कामयाबी की ओर
        सुबह-सुबह जब देखा
        एक मकड़ी बुन रही है जाला
        अरे ,हटाओ इसे
        कित्ता गन्दा है
         बस जरा सा मौका मिला
       बुनने लगती हैं
       झट दौड़ कर ले आई झाड़ू
     पट से  हटा दिया
       ये न सोचा किसी का आशियाना था वो
      सोचा, उनका ब्लड प्रेशर नहीं बढ़ता होगा
     या फिर डिप्रेशन ?
      मनुष्यों की तरह ?
      क्या होता होगा
    उनका भी कोई डॉक्टर ?
      पता नहीं
     अब पता भी कैसे लगे
     बेजुबां हैं वो तो .....
      शाम को देखा
     फिर वही मकडी़....
   उसी जोश के साथ
   बुनने में लगी थी
     आशियां अपना
  . . सीखा बहुत कुछ .....।

Wednesday, 8 March 2017

नारी दिवस

  नही..... आज कुछ नहीं लिखा
    महिला दिवस के उपलक्ष में
     नारी ,शक्ति है ,दुर्गा है
       सहनशीलता की मूरत है
       कुछ नहीं लिखा
     बस पढ़ रही हूँ
      कुछ ऐसे ही ..   संदेश
      कुछ महिलाओं को
      अपनी सफलता पर
     मिले हुए सम्मान
     कुछ गरीब .....
     महिलाओं पर उतारी गई फिल्में
     कैसे जीती हैं वो
      ये दिखाया गया
     सच...
   पर होगा क्या इससे
    प्रश्न यही व्यथित कर रहा
     क्या इससे सुधरेगी
      उनकी दशा ?
    सदियों से सब ऐसे ही
    है चल रहा
    अगले वर्ष फिर
     दोहराया जाएगा
     यही सभी कुछ
    पर शायद
    रहेगा सब
    जस का तस..।
     
          शुभा मेहता
         8th March ,2017